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राम जन्मभूमि के आसपास 10 मस्जिदों, दरगाहों की मौजूदगी सद्भावना का संदेश

राम मंदिर के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम जन्मभूमि के 70 एकड़ के परिसर से सटी लगभग आठ मस्जिदें और दो मकबरे हैं। राम जन्मभूमि परिसर से सटी इन मस्जिदों में स्थानीय हिंदुओं की ओर से बिना किसी आपत्ति के इन दिनों अजान और नमाज अदा की जा रही है।

Written by: IANS
Published on: August 03, 2020 21:16 IST
Presence of 10 mosques, dargahs around Ram Janmabhoomi message of goodwill । राम जन्मभूमि के आसपास 1- India TV Hindi
Image Source : PTI राम जन्मभूमि के आसपास 10 मस्जिदों, दरगाहों की मौजूदगी सद्भावना का संदेश (Representational Image)

अयोध्या. राम जन्मभूमि के आसपास मौजूद आठ मस्जिदें और दो 'दरगाह' अयोध्या में दो समुदायों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का संदेश दे रहे हैं, जहां राम मंदिर का निर्माण होना है। ये मुस्लिम इबादत स्थल किलेबंद क्षेत्र के 100 से 200 मीटर के दायरे में स्थित हैं, जहां एक साथ अजान और रामायण पाठ की ध्वनि सुनाई देती है, जो कि अयोध्या की साझी संस्कृति का प्रमाण है।

बाबरी मस्जिद के विपरीत, जहां 23 दिसंबर 1949 को नमाज बंद हो गई थी, राम जन्मभूमि से सटे इन सदियों पुराने इस्लामिक ढांचों में नियमित रूप से पांच वक्त की नमाज अदा की जाती है, जिसमें एक शिया मस्जिद और इमामबाड़ा शामिल है। इसके अलावा इसमें तहरीबाजार जोगियों की मस्जिद भी शामिल है।

राम मंदिर के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम जन्मभूमि के 70 एकड़ के परिसर से सटी लगभग आठ मस्जिदें और दो मकबरे हैं। राम जन्मभूमि परिसर से सटी इन मस्जिदों में स्थानीय हिंदुओं की ओर से बिना किसी आपत्ति के इन दिनों अजान और नमाज अदा की जा रही है।

ये भी पढ़ें- राम मंदिर शिलान्यास पर बोले अयोध्या के सांसद- पीएम मोदी ने किया हिंदुओं का सपना साकार

राम जन्मभूमि परिसर के पास स्थित आठ मस्जदें -मस्जिद दोराहीकुआं, मस्जिद माली मंदिर के बगल, मस्जिद काजियाना अच्छन के बगल, मस्जिद इमामबाड़ा, मस्जिद रियाज के बगल, मस्जिद बदर पांजीटोला, मस्जिद मदार शाह और मस्जिद तेहरीबाजार जोगियों की- हैं। दो मकबरों के नाम खानकाहे मुजफ्फरिया और इमामबाड़ा है।

राम कोट वार्ड के पार्षद हाजी असद अहमद ने आईएएनएस से कहा, यह अयोध्या की महानता है कि राम मंदिर के आस-पास स्थित मस्जिदें पूरे विश्व को सांप्रदायिक सद्भाव का मजबूत संदेश दे रही हैं। राम जन्मभूमि परिसर अहमद के वार्ड में आता है। उन्होंने कहा, मुस्लिम बारावफात का 'जुलूस' निकालते हैं, जो राम जन्मभूमि की परिधि से होकर गुजरता है। मुस्लिमों के सभी कार्यक्रमों एवं रस्मों का उनके साथी नागरिक सम्मान करते हैं।

राम जन्मभूमि परिसर से सटी मस्जिदों के बारे में टिप्पणी करते हुए मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, हमारा विवाद बस उस ढांचे से था, जो बाबर (मुगल शासक) के नाम से जुड़ा था। हमें अयोध्या में अन्य मस्जिदों एवं मकबरों से कोई दिक्कत कभी नहीं रही। यह वह नगरी है जहां हिंदू मुस्लिम शांति से रहते हैं। दास ने कहा, मुस्लिम नमाज पढ़ते हैं, हम अपनी पूजा करते हैं। राम जन्मभूमि परिसर से सटी मस्जिदें अयोध्या के सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत करेंगी और शांति कायम रहेगी।

उन्होंने कहा कि हिंदू और मुस्लिम दोनों ने राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार किया है। हमारा एक-दूसरे से कोई विवाद नहीं है। 500 साल पुराने खानकाहे मुजफ्फरिया मकबरे के सज्जादा नशीन व पीर, सैयद अखलाक अहमद लतीफी ने कहा कि अयोध्या के मुस्लिम सभी धार्मिक रस्में स्वतंत्र होकर निभाते हैं। उन्होंने कहा, हम खानकाहे की मस्जिद में पांच बार नमाज पढ़ते हैं और सालाना 'उर्स' का आयोजन करते हैं।

राम जन्मभूमि परिसर से सटे सरयू कुंज मंदिर के मुख्य पुजारी, महंत युगल किशोर शरण शास्त्री ने कहा, कितना बेहतरीन नजारा होगा- एक भव्य राम मंदिर जिसके इर्द-गिर्द छोटी मस्जिदें और मकबरे होंगे और हर कोई अपने धर्म के हिसाब से प्रार्थना करेगा। यह भारत की वास्तविक संस्कृति का प्रतिनिधित्व करेगा।

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