नई दिल्ली। मंगलवार को उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने राज्य के बड़े शहर इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रायगराज करने को मंजूरी दे दी। यानि 444 साल बाद इलाहाबाद को अब फिर से प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा। मुगल बादशाह अकबर के इस फैसले को 444 साल के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने फिर से बदल दिया है। ऐसा माना जाता है कि अकबर ने 1574 में इस शहर में किला बनवाया था और शहर का नाम इलाहाबाद रख दिया था। अकबर ने दीन-ए-इलाही धर्म की स्थापना की थी और ऐसा समझा जाता है कि इसी धर्म का प्रभाव बढ़ाने के लिए अकबर ने प्रयागराज का नाम इलाहाबाद किया था।
उत्तर प्रदेश की सरकार ने जिस तरह का कदम उठाया है उस तरह का कदम अन्य राज्यों में भी उठाए जाने की मांग उठती रही है। गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा और तेलंगाना के प्रमुख शहरों के नाम बदलने की मांग लंबे समय से उठती रही है।
अहमदाबाद का नाम कर्णावती करने की मांग
गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद का नाम कर्णावती किए जाने की मांग लंबे समय से उठती आई है। ऐसा माना जाता है कि हिंदू राजा कर्ण देव ने 11वीं शताब्दी में इस शहर की स्थापना की थी। यही वजह है कि शहर का नाम अहमदाबाद से बदलकर कर्णावती किए जाने की मांग उठती रही है।
औरंगाबाद को संभाजीनगर किए जाने की मांग
महाराष्ट्र के शहर औरंगाबाद का नाम भी बदलकर संभाजीनगर किए जाने की मांग वहां के राजनीतिक दल उठाए आए हैं। संभाजी हिंदू राजा शिवाजी के बड़े पुत्र थे और मुगलों ने उनका वध कर दिया था।
हैदराबाद को भाग्यनगर बनाए जाने की मांग
इसी तरह तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के नाम को बदलने की मांग भी कई बार उठी है, कुछेक राजनीतिक दल हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्य की देवी भाग्यलक्ष्मी के नाम पर भाग्यनगर रखे जाने की मांग करते आए हैं।
फरीदाबाद से बदलकर बलरामगढ़
हरियाणा के शहर फरीदाबाद का नाम भी बदलकर बलरामगढ़ किए जाने की मांग कई बार उठी है और राज्य सरकार ने इसपर सहमति भी जताई है। हरियाणा में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी तो गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम किया गया था।