अलीगढ़ (उप्र): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अलीगढ़ में मंगलवार को राजा महेन्द्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी। इससे पहले प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे के अलीगढ़ नोड और राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय के मॉडलों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस मौके पर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का नाम बदलकर राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर रखने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पुरानी मांग के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर एएमयू के बगल में बनने वाले एक नए विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी। यह विश्वविद्यालय अलीगढ़ की कोल तहसील के लोढ़ा तथा मूसेपुर करीम जरौली गांव की 92 एकड़ से ज्यादा जमीन में बनाया जाएगा।
अलीगढ़ मंडल के 395 महाविद्यालयों को इससे संबंद्ध किया जाएगा। विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन, शैक्षणिक भवन, छात्रावास, आवासीय भवन आदि के लिए 101. 41 करोड़ रुपये की लागत के निर्माण कार्यों की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में अलीगढ़ मण्डल के चारों जनपद- अलीगढ़, कासगंज, हाथरस तथा एटा शामिल हैं। इसकी स्थापना से अलीगढ़ मण्डल के छात्र-छात्राओं को उच्च स्तरीय शैक्षणिक सुविधाएं प्राप्त होंगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 फरवरी, 2018 को लखनऊ में उत्तर प्रदेश ‘इन्वेस्टर्स समिट’ का उद्घाटन करते हुए उत्तर प्रदेश में एक ‘रक्षा औद्योगिक गलियारा’ स्थापित किये जाने की घोषणा की थी। उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे के सम्यक विकास के लिए कुल 06 नोड- अलीगढ़, आगरा, कानपुर, चित्रकूट, झांसी तथा लखनऊ में बनाए गए हैं। ‘रक्षा औद्योगिक गलियारे’ में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश रक्षा तथा एयरोस्पेस इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन (प्रथम संशोधन) नीति-2019’ लागू की है।
अलीगढ़ नोड के लिए भूमि आवंटन प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और 19 कम्पनियों को भूमि का आवंटन सुनिश्चित किया जा चुका है। यह कम्पनियां 1245 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी। अलीगढ़ नोड में छोटे हथियार, आयुध, ड्रोन, एयरोस्पेस मेटल कम्पोनेण्ट्स, एण्टी ड्रोन सिस्टम, डिफेंस पैकेजिंग एवं अन्य इण्डस्ट्रीज प्रस्तावित हैं। उत्तर प्रदेश के ‘रक्षा औद्योगिक गलियारे’ से देश को रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और ‘मेक इन इण्डिया’ को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।