नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने लखनऊ में पेट्रोल पंप संचालकों द्वारा रिमोट और चिप के जरिए ईंधन चोरी के खुलासे के बाद रोजाना छापेमारी में बड़े पैमाने पर मशीनों में गड़बड़ी के मामले उजागर हो रहे हैं। इसी सिलसिले में रविवार (30 अप्रैल) को भी पेट्रोल पंपों पर छापा मारा। लेकिन जब एसटीएफ की टीम एक पेट्रोल पंप पर छापा मारने पहुंची तो वहां से पूरा पेट्रोल पंप ही गायब मिला। पंप मालिकों ने छापे से बचने के लिए पेट्रोल पंप की सारी डिस्पेंसिंग मशीनों को उखड़वाकर पेट्रोल पंप के पीछे रखवा दिया और सड़क पर एक बोर्ड लगा दिया कि पेट्रोल पंप का रेनोवैशन (Under Renovation) हो रहा है। (पाकिस्तान से शहीदों का बदला लेने के लिए भारतीय सेना को मिली खुली छूट)
एसटीएफ की टीम ने जब उखाड़ी गई मशीनों की जांच कराई तो उसमें तेल चोरी करने वाली चिप लगी होने के निशान मौजूद थे। जांच से पता चला कि पेट्रोल पंप मालिको ने पंप के रिनोवेशन के लिए तेल कंपनी से मंजूरी नहीं ली गई थी। रिनोवेशन तो केवल छापे से बचने के लिए किया जा रहा था।
बता दें कि एसटीएफ ने 27 अप्रैल से छापेमारी शुरू की थी। अब तक 14 पेट्रोल पंपों पर छापा मारा जा चुका है और तकरीबन सभी में चोरी पाई गई है। पेट्रोल पंपों पर छापे मारने की शुरुआत एक शख्स की गिरफ्तारी के बाद हुई जिसने बताया कि उसने पेट्रोल चोरी में इस्तेमाल होने वाली एक हजार इलेक्ट्रॉनिक चिप्स पेट्रोल पंपों में लगाई है। एसटीएफ का अनुमान है कि चिप लगे पेट्रोल पंपों से औसतन 12 से 15 लाख रुपये महीने के पेट्रोल की चोरी होती है।
एसटीएफ का कहना है कि पेट्रोल पंप मालिक अपनी चोरी रोकने के लिए एक-दो दिन के भीतर ही तेल कंपनियों को फोन करके अपनी मशीन खराब होने की जानकारी दे रहे हैं। कई जगह तो पेट्रोल पंप वालों ने मशीन से वह पूरा नक्शा ही निकाल लिया था जिसमें वह चीटिंग चिप लगा था।
कई जगह पेट्रोल पंप पर पहुंचते ही मैनेजर और मालिक भाग खड़े हो रहे हैं। वहीं अधिकतर जो ग्रुप और मालिक हैं इस पूरे रैकेट से अंजान होने की दलील दे रहे हैं। हालांकि एसडीएम को मिली प्राथमिक जानकारी के मुताबिक यह जाल कई जिलों में प्रदेश के कोने-कोने में फैला हुआ है।
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