लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने आदेश के बावजूद समय पर हाजिर न होकर बहानेबाजी करने एवं अदालत का समय बर्बाद करने पर वन विभाग के प्रमुख सचिव पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही अदालत ने ‘स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स’ सेवा नियमावली की प्रक्रिया पूर्ण कर मंत्रिमंडल मंजूरी के लिए भेजने को लेकर संबंधित विभागों को तीन महीने का समय दिया है। न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की पीठ ने 2016 में दाखिल एक जनहित याचिका पर 17 फरवरी को सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
दरअसल, अदालत याचिका पर सुनवायी करते हुए दुधवा टाइगर रिजर्व के जानवरों की सुरक्षा के मद्देनजर सुनवाई कर रही है। अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को सेवा नियमवाली बनाने का निर्देश दिया था। जनवरी में सुनवाई के दौरान नियमावली की प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए वन विभाग की ओर से समय मांगा गया था जिसे मंजूर करते हुए अदालत ने स्पष्ट किया था कि प्रक्रिया पूर्ण नहीं होने की दशा में प्रमुख सचिव और चीफ कंजर्वेटर को 17 फरवरी 2020 को स्वयं हाजिर होना होगा। अदालत ने 17 फरवरी को मामले की सुनवाई में पाया कि नियमावली की प्रक्रिया पूर्ण नहीं हुई है और पूर्व के आदेश के अनुपालन में प्रमुख सचिव भी हाजिर नहीं हुए हैं।