लखनऊ/बलिया (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश के विपक्षी दलों समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने राज्य कर्मचारियों के छह तरह के भत्तों पर रोक लगाने के प्रदेश सरकार के निर्णय को अव्यवहारिक करार देते हुए इस पर पुनर्विचार का अनुरोध किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने रविवार देर शाम यहां जारी एक बयान में कहा, 'राज्य की भाजपा सरकार द्वारा अपने राजस्व की कमी का बहाना बनाकर प्रदेश के क़रीब 16 लाख कर्मचारियों और 11.5 लाख पेंशनभोगियों के भत्ते पर एक साल तक के लिए रोक लगाना अमानवीय, अव्यवहारिक और तुगलकी फरमान है। सरकार के इस अव्याहारिक फैसले से राज्य के प्रभावित होंगे।'
उन्होंने कहा, 'कोरोना महामारी के बीच प्रदेश के चिकित्सकों, पुलिसकर्मियों, सफाई कर्मचारियों और शिक्षकों समेत सभी कर्मचारियों पर काम का दोगुना बोझ है। ऐसे समय उनके महंगाई भत्ते और महंगाई राहत को रोकना उन्हें हतोत्साहित करने वाला कदम साबित होगा।' लल्लू ने कहा, 'सभी कर्मचारी संगठनों ने अपनी क्षमता के अनुसार खुद आगे आकर प्रदेश के राहत कोष में मदद दी है। सरकार द्वारा इस कर्मचारी विरोधी फैसले से सभी कर्मचारी नाराज हैं और आंदोलन कर सकते है। लिहाजा सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।'
उधर, उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता रामगोविंद चौधरी ने भी कर्मचारियो एवं पेंशनभोगियों का महंगाई भत्ता न बढ़ाए जाने और राज्यकर्मियों के छह तरह के भत्तों पर रोक लगाने को लेकर योगी सरकार की तीखी आलोचना की है। सपा नेता ने इस फैसले को अव्यवहारिक और तुगलकी करार देते हुए कहा है कि इस फैसले से इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में दिन रात सहयोग कर रहे सरकारी कर्मचारियों का मनोबल गिरेगा।
चौधरी ने कहा कि प्रदेश सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। मालूम हो कि राज्य सरकार ने कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए विधायकों के वेतन में कटौती के बाद अब राज्य कर्मचारियों के 6 तरह के भत्तों पर रोक लगा दी है। साथ ही कर्मचारियों का महंगाई भत्ता और पेंशन भोगियों की महंगाई राहत में भी कोई बढ़ोतरी न करने का ऐलान किया है।