लखनऊ: प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद नरेंद्र मोदी का यह नारा बहुत मशहूर हुआ था; न खाऊंगा न खाने दूंगा। अब उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ की इस हुंकार की काफी चर्चा है; न सोऊंगा न सोने दूंगा।
मोदी की तरह योगी भी कामकाज में जुटे रहते हैं। योगी के निकट के लोगों का कहना है कि वह रोजाना कई घंटे काम करते हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही योगी के काम करने की जो रफ्तार रही है, उससे अधिकांश अधिकारी और यहां तक की मंत्री भी तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं।
अपने भक्तों के बीच महाराज जी कहे जाने वाले योगी तीन अप्रैल से ही लंबी समीक्षा बैठकें कर रहे हैं और विभिन्न विभागों के प्रेजेंटेशन देख रहे हैं। यह बैठकें आमतौर से आधी रात तक चलती रहती हैं।
रात में अच्छी नींद के आदी वरिष्ठ अधिकारियों के लिए रात और दिन दोनों भारी पड़ रहे हैं। अब उन्हें रोजाना सुबह नौ बजे काम पर पहुंचना ही होता है। दफ्तर आने का समय तय है लेकिन यहां से जाने का नहीं। रात के समय बापू भवन, इंदिरा भवन, जवाहर भवन और सचिवालय की लाइट जलती नजर आतीं हैं जहां अधिकारी योगी के साथ मुलाकात की तैयारी कर रहे होते हैं।
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गुरुवार को देर रात तक चली एक बैठक में शामिल एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने आईएएनएस से कहा, "योगी की ऊर्जा से तालमेल बिठा पाना लगभग असंभव है।" गोरखपुर से पांच बार सांसद रहने वाले योगी ने बहुत तेजी से चीजों को सीखा है। एक वरिष्ठ नौकरशाह ने कहा कि मुख्यमंत्री न केवल बहुत कुशाग्र हैं बल्कि उन्हें विभागों, योजनाओं और परियोजनाओं की 'आश्चर्यजनक जानकारी' भी है।
योगी ने मुख्यमंत्री बनने के फौरन बाद साफ कर दिया था कि अधिकारियों और मंत्रियों को 16 से 18 घंटे काम के लिए अब तैयार रहना होगा। अगर वे ऐसा नहीं कर पाएंगे तो उनके लिए रास्ते खुले हैं। मुख्यमंत्री का दफ्तर पांचवी मंजिल पर है। इसे सत्ता के गलियारों में 'पंचम तल' के रूप में जाना जाता है। अब पंचम तल आधी रात तक खुला रहता है, चपरासी, लिफ्टमैन, सुरक्षा कर्मी, मंत्रालय कर्मी और अधिकारी, सभी काम के अतिरिक्त घंटों में व्यस्त रहते हैं।
कैबिनेट मंत्रियों ने शुरू में अपने कनिष्ठों को इन बैठकों के लिए भेजा। लेकिन, योगी ने इन्हें संदेश भेजा कि समीक्षा बैठकों में आपकी निजी उपस्थिति की दरकार है। साथ ही योगी ने 20 अप्रैल तक की सभी छुट्टियां रद्द कर दी हैं और मंत्रियों के राजधानी से बाहर जाने पर रोक लगा दी है। 20 अप्रैल को योगी के समक्ष 'फाइनल प्रेजेंटेशन' होना है।
किसी भी दिन, या कहें कि रात में, योगी एक ही बार में कम से कम चार विभागों की समीक्षा बैठक करते हैं जो चार से पांच घंटे तक चलती हैं। हालात की जानकारी रखने वालों का कहना है कि योगी तुरंत कोई खामी पकड़ लेते हैं, आनन-फानन में फाइल मांग लेते हैं, एक-एक चीज पर उनकी बारीक नजर रहती है। एक अधिकारी ने कहा कि निश्चित ही उनके लिए नई कार्यसंस्कृति को सीखना एक 'तकलीफदेह कवायद' है।
हालात की 'मार' सबसे अधिक मुख्य सचिव राहुल भटनागर पर पड़ी है। उन्हें हर जगह मौजूद रहना होता है। लंबी बैठकों और तेज गति वाले सरकारी कामकाज का सर्वाधिक बोझ उन्हीं के कंधे पर आया है।
राज्य सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारी-कर्मचारी भी काम के बोझ से दबे हुए हैं। बैठकें आधी रात तक जारी रहती हैं। इन विभागों के लोगों का काम इसके बाद शुरू होता है जब वे मीडिया के लिए प्रेस विज्ञप्तियां बनाने बैठते हैं। यहां तक कि समाचार पत्रों ने भी अपनी प्रिंटिंग डेडलाइन बढ़ा दी है। उन्हें भी आधी रात के बाद मुख्यमंत्री दफ्तर से आने वाली खबरों की प्रतीक्षा रहती है।