अमेठी: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट को एक नोटिस जारी करके सरकारी जमीन पर महिला प्रशिक्षण केन्द्र चलाने के आधार के बारे में पूछा गया है। ट्रस्ट पर आरोप है कि उन्होंने राय बरेली स्थित 10 हजार वर्ग मीटर जमीन का इस्तेमाल बिना किसी मंजूरी के किया है।
अमेठी की तिलोई तहसील के उपजिलाधिकारी अशोक शुक्ल ने आज यहां बताया कि पहले भी उन्हें कई नोटिस जारी हुए हैं। उनका कभी जवाब नहीं मिला। अब गत 22 अप्रैल को राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट को नोटिस जारी कर पूछा गया कि किन अभिलेखों तथा किस आदेश के आधार पर वह सरकारी जमीन पर प्रशिक्षण केन्द्र चला रहा है? हालांकि 15 दिन का समय लेने के बावजूद उन्होंने जवाब नहीं दिया है।
मालूम हो कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं, जबकि पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी इसके बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सदस्य हैं। हालांकि अमेठी में राजीव गांधी ट्रस्ट के अधीन संचालित प्रशिक्षण केन्द्र की देखरेख कर रहे राजीव गांधी महिला विकास परियोजना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्होंने गत 27 अप्रैल को अमेठी के जिलाधिकारी और तिलोई के उपजिलाधिकारी को नोटिस का जवाब भेजा था।
उन्होंने बताया, उत्तर में कहा गया था कि सरकार ने वह जमीन मनुज कल्याण केन्द्र नामक संस्था को आवंटित की है और ट्रस्ट उसके सहयोग से पिछले 13 साल से प्रशिक्षण केन्द्र चला रहा है और इसमें कुछ भी अवैध नहीं है।
उपजिलाधिकारी शुक्ल ने बताया कि वर्ष 1982 के आसपास जायस कस्बे में चकबंदी के दौरान कुछ जमीन गांव के लोगों के सार्वजनिक उपयोग के लिये सुरक्षित की गई थी। इस पर केवल सरकार का ही अधिकार है। यह तय हुआ था कि इसका सार्वजनिक उपयोग या बालिका विद्यालय खोलने, व्यवसायिक ट्रेनिंग के लिये किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में इस जमीन पर 10 हजार 360 वर्ग मीटर क्षेत्र में राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के बैनर तले महिला प्रशिक्षण केन्द्र संचालित किया जा रहा है। प्रशासन जानना चाहता है कि किस आदेश और अभिलेख के आधार पर वह केन्द्र चलाने के लिये सरकारी जमीन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
शुक्ल ने बताया कि इससे पहले जिला विकास अधिकारी अमेठी ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा था कि सरकारी प्रबन्धन की जमीन पर राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट की पहुंच कैसे बनी, इसके अभिलेख उपलब्ध कराये जाएं, लेकिन कोई दस्तावेज मुहैया नहीं कराया गया। शुक्ल ने बताया कि उसके बाद मुख्य विकास अधिकारी ने नोटिस देकर जवाब मांगा तो भी कोई अभिलेख नहीं उपलब्ध कराये गये और एक माह का समय मांग लिया गया।
गौरतलब है कि राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन वर्ष 2002 में हुआ था। इसके उद्देश्यों में देश के वंचित समाज, खासकर ग्रामीण गरीबों के विकास सम्बन्धी जरूरतों की पूर्ति में मदद करना शामिल है। यह ट्रस्ट इस समय राजीव गांधी महिला विकास परियोजना तथा इंदिरा गांधी आई हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर परियोजनाओं के तहत उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा के बेहद पिछड़े इलाकों में काम कर रहा है। यह ट्रस्ट उत्तर प्रदेश के 42 जिलों में महिला सशक्तीकरण के लिये सक्रिय है।