नोएडा। नोएडा पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह की पत्नी आकांक्षा सिंह द्वारा पुलिस परिवार की महिलाओं को रोजगार में आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू की गई मुहिम अब रंग ला रही है। गौतमबुद्ध नगर जिले की पुलिस लाइंस में लगा सोलर चरखा 25 महिलाओं को रोजगार दे रहा है। सोलर चरखे से पुलिस परिवार की महिलाओं को रोजगार दिलाने का पूरा श्रेय आकांक्षा सिंह को जाता है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' योजना में नोएडा रेडीमेड कपड़ों के लिए जाना जाता है। ऐसे में आकांक्षा सिंह ने पुलिस लाइंस की महिलाओं को इसी में रोजगार दिलाने की योजना बनाई है। योजना सरकारी मदद से चलनी थी, ऐसे में खादी पर फोकस करने का फैसला लिया। खादी की योजनाओं के बारे में जानकारी के सिलसिले में आकांक्षा सिंह ने गाजियाबाद जिले के खादी ग्रामोद्योग अधिकारी संजय कुमार से संपर्क किया।
सोलर चरखा प्रोजेक्ट की लागत अधिक थी। ऐसे में संजय कुमार ने उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग के सचिव नवनीत सहगल से इस प्रोजेक्ट की चर्चा की। पुलिस लाइंस में ही महिलाओं के लिए रोजगार के इस प्रोजेक्ट में नवनीत सहगल ने रुचि ली। जिसके बाद इस प्रोजेक्ट के लिए सरकारी योजना के तहत 11 लाख का सोलर चरखा लगाने की मंजूरी मिल गई।
गौतम बुद्ध नगर के पुलिस लाइंस की महिलाओं को रोजगार दिलाने की आकांक्षा सिंह की मुहिम रंग लाई, राज्य सरकार से मदद मिली। सोलर चरखा लगा और ट्रेनिंग शुरू हुई। सोलर चरखा से सूत कातने के प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पुलिस लाइंस की पुलिस परिवार की कई महिलाओं ने रुचि दिखाई। पहले चरण में 25 महिलाओं का चयन हुआ, जिन्हें ट्रेनिंग दी गई।
इसके बाद ऑर्डर के लिए खादी विभाग ने इस सेंटर को अपना सपोर्ट भी दिया। इसके तहत खादी विभाग में पंजीकृत संस्था ग्राम विकास सेवा संस्थान से कच्चा माल देने की व्यवस्था कराई गई। एजेंसी सेंटर को कच्चा माल देती है। धागा बनने के बाद वही एजेंसी इसकी खरीद भी करती है। इस प्रोजेक्ट के तहत पहला ऑर्डर पूरा हो चुका है, करीब 20 दिन में सेंटर की महिलाओं को 70 हजार रुपए की आय हुई है।पुलिस लाइंस में लगाया गया सोलर चरखा सेंटर सुबह 10 से 5 बजे तक खुलता है। लेकिन यहां प्राइवेट कंपनियों जैसे इन-आउट की बाध्यता नहीं है। महिलाएं सुविधा के मुताबिक काम के लिए आ सकती हैं। वैसे भी महिलाएं जितना ज्यादा सूत कातेगी, उतना ज्यादा तनख्वाह बनेगी।
पूरे प्रोजेक्ट की सफलता की सूत्रधार आकांक्षा सिंह हैं। उन्होंने प्रोजेक्ट की परिकल्पना से लेकर पुलिस लाइंस में जगह दिलाने समेत तमाम औपचारिकताएं पूरी कराने में बड़ी भूमिका निभाई है। साथ ही महिलाओं को रोजगार में आत्मनिर्भर बनने के लिए भी प्रेरित किया। अब भी हर रोज प्रोजेक्ट की पूरी मॉनिटरिंग करती हैं। संजय कुमार का कहना है कि हमारा विभाग तो हफ्ते में एकाध बार ही सेंटर पहुंच पाता है या फिर किसी समस्या के समाधान के लिए पहुंचता है। लेकिन महिलाओं में हित में आकांक्षा सिंह का ये डेडिकेशन वास्तव में प्रेरणादायक है।
गाजियाबाद जिले के खादी ग्रामोद्योग अधिकारी संजय कुमार ने बताया कि एक किलो धागे से पांच-सवा पांच मीटर कपड़ा बन जाता है। महिलाएं सात-आठ हजार रुपये महीने कमा सकती हैं। अभी इस सेंटर पर सिर्फ धागा बन रहा है। लेकिन दूसरे चरण में कपड़ा बुनाई के लिए लूम लगाने की योजना है। तीसरे चरण में यहां तैयार कपड़ों से सिलाई भी होगी।