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अनुसूचित जाति का दर्जा पाने ट्रक में भरकर पत्र PMO भेजेगी निषाद पार्टी

पार्टी द्वारा बड़े पैमाने पर चलाया गया ये हस्ताक्षर अभियान राष्ट्रीय राजनीतिक परि²श्य में उसकी पहली बड़ी पहल है। ज्यादा से ज्यादा हस्ताक्षरित पत्र इकट्ठे करने के लिए पार्टी के बूथ स्तर के कार्यकर्ता ओवरटाइम काम कर रहे हैं। फरवरी की शुरूआत में लॉन्च किए जाने के बाद से ही यह अभियान बिना रुके लगातार चल रहा है।

Written by: IANS
Published on: March 30, 2021 12:34 IST
Nishad Party to send a truck full of letters to PMO demanding SC category status for categories of n- India TV Hindi
Image Source : IANS अनुसूचित जाति का दर्जा पाने ट्रक में भरकर पत्र PMO भेजेगी निषाद पार्टी

लखनऊ. अनुसूचित जाति के दर्जे की अपनी मांग के समर्थन में निषाद पार्टी अपने समुदाय के लोगों के हस्ताक्षरित पत्रों को ट्रक में भरकर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) भेजेगी। निषाद पार्टी द्वारा फरवरी में शुरू किया गया 2 महीने का हस्ताक्षर अभियान इस महीने खत्म होने वाला है। उत्तर प्रदेश में ये निषाद समुदाय की 4 जातियों - मझवार, गोंड, शिल्पकार और तुरहा को अनुसूचित जाति श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहा है।

पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी श्रवण निषाद ने कहा, "हमने पार्टी को मिले हस्ताक्षर किए गए पत्रों के बारे में हर जिले से विवरण इकट्ठा करना शुरू कर दिया है। अब हम अपनी मांगों के समर्थन में इन हस्ताक्षरित पत्रों और दस्तावेजों को ट्रक में भरकर पीएमओ को भेजेंगे। पार्टी लंबे समय से यह मांग कर रही है और अब वह राष्ट्रीय स्तर पर ये कदम उठाएगी। राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में इस मुद्दे पर बात करने के लिए हम बेहतर स्थिति में हैं।"

बता दें कि पार्टी द्वारा बड़े पैमाने पर चलाया गया ये हस्ताक्षर अभियान राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में उसकी पहली बड़ी पहल है। ज्यादा से ज्यादा हस्ताक्षरित पत्र इकट्ठे करने के लिए पार्टी के बूथ स्तर के कार्यकर्ता ओवरटाइम काम कर रहे हैं। फरवरी की शुरूआत में लॉन्च किए जाने के बाद से ही यह अभियान बिना रुके लगातार चल रहा है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में निषादों की 153 उपजातियां हैं, जिनमें से कुछ ओबीसी सूची में तो कुछ जनजातियों की श्रेणी में हैं। वहीं बाकी उपजातियां अनुसूचित जाति में है। निषाद पार्टी की मांग है कि सभी एक जैसा अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाए। राज्य ने अप्रैल 2019 में कुछ जिलों में निषादों को 'मझवार' सर्टिफिकेट जारी किया था, लेकिन बाद में अदालत ने इस पर रोक लगा दी। उसके बाद से अब तक राज्य सरकार ने निषाद समुदाय के पक्ष में अदालत में गुहार नहीं लगाई है। ऐसे में यह लड़ाई एक बार फिर वहीं पहुंच गई है, जहां से शुरू हुई थी।

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