नई दिल्ली/लखनऊ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भेजा है। आयोग ने यह नोटिस कांग्रेस की उस शिकायत पर संज्ञान लेते हुए भेजा जिसमें सीएए का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के कथित अत्याचार की बात कही गई थी। एक अधिकारी ने कहा कि "राज्य में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के कथित अत्याचार के खिलाफ कांग्रेस द्वारा कार्रवाई की मांग के बाद एनएचआरसी ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भेजा है।"
कांग्रेस ने की थी शिकायत
बता दें कि 27 जनवरी को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश में सीएए के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की कथित बर्बरता के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से शिकायत करते हुए विस्तृत जांच एवं कार्रवाई की मांग की थी। इस दौरान राहुल और प्रियंका के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी, मोहसिना किदवई, सलमान खुर्शीद, जितिन प्रसाद, राजीव शुक्ला और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू भी मौजूद थे।
NHRC का गठन
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन 12 अक्तूबर, 1993 को हुआ था। आयोग का अधिदेश, मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2006 द्वारा यथासंशोधित मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 में निहित है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप है, जिन्हें अक्तूबर, 1991 में पेरिस में मानव अधिकार संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए राष्ट्रीय संस्थानों पर आयोजित पहली अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में अंगीकृत किया गया था तथा 20 दिसम्बर, 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संकल्प 48/134 के रूप में समर्थित किया गया था।
NHRC का काम और संरचना
यह आयोग, मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्द्धन के प्रति भारत की चिंता का प्रतीक तथा संवाहक है। मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 12 (1)(घ) में मानव अधिकारों को संविधान द्वारा गारंटीकृत अथवा अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदाओं में समाविष्ट तथा भारत में न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय व्यक्ति के अधिकारों के रूप में परिभाषित किया गया है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन एक अध्यक्ष, चार पूर्ण कालिक सदस्यों तथा चार मानद सदस्यों से होता है। आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति के लिए संविधान में उच्च योग्यता निर्धारित की गई है।