बिजनौर. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा कथित 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून बनाए जाने के बाद कई मामले दर्ज किए गए हैं। ताजा मामला सामने आया है यूपी के बिजनौर से, जहां नए Anti Conversion कानून के तहत एक 19 साल के लड़के को गिरफ्तार किया गया है। लड़के पर आरोप है कि उसने अपनी पहचान छिपाकर अनुसूचित समाज की नाबालिग लड़की शादी के लिए अगवा कर लिया। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, लड़का और लड़की सोमवार रात को गायब हो गए। पुलिस के अनुसार, लड़की ने पुलिस को बताया कि लड़के से उसकी दोस्ती थी, लेकिन उसके साछ भागने के बाद उसे पता चला कि लड़का मुस्लिम समुदाय से है।
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अफसरों ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने लड़की का बयान दर्ज होना बाकी है। युवक पर आईपीसी की धारा 363 (अपहरण), 366 (अपहरण, अपहरण या लड़की को शादी के लिए मजबूर करने के लिए अपहरण) के तहत मामला दर्ज किया गया है, साथ ही एससी / एसटी अधिनियम, POCSO अधिनियम के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। जिस थाने में मामला दर्ज हुआ था वहां के एस.एच.ओ. ने कहा कि लड़की नाबालिग है और अनुसूचित जाति से है। आरोपों के अनुसार, लड़का एक अलग नाम से अपना परिचय देता था। सोमवार की रात, वह लड़की के साथ गायब हो गया और उसके बाद ही लड़की को पता चला कि वह मुस्लिम है।
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SP धर्मवीर सिंह ने बताया कि दोनों अलग-अलग समुदायों से हैं, और ऐसे मामलों में जब वे पकड़े जाते हैं, तो आरोप लगाया जाता है कि यह जबरदस्ती था। धारा 164 सीआरपीसी के तहत मजिस्ट्रेट के सामने लड़की का बयान दर्ज किया जाना बाकी है और हम उसका इंतजार करेंगे। अब तक की सारी जानकारी उसके परिवार की शिकायत और पुलिस को उसके बयान पर आधारित है। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है, वह अपना असली नाम छिपा रहा था।
क्या कहता है यूपी सरकार का नया कानून?
'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020' के तहत अब छल, कपट या जोर-जबर्दस्ती से शादी के जरिए धर्म परिवर्तन करने को गैरजमानती अपराध बना दिया गया है। इसका उल्लंघन करने पर अधिकतम 10 साल कैद की सजा तय की गयी है। अध्यादेश का उल्लंघन करने पर कम से कम एक साल और अधिकतम पांच साल कैद तथा 15,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है, जबकि नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के मामले में यह सजा तीन साल से 10 वर्ष तक की कैद और 25,000 रुपये जुर्माने की होगी। इसके अलावा सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में अधिकतम 10 साल की कैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।पढ़ें- ISRO आज लॉन्च करेगा सैटेलाइट CMS-01, जानिए इसकी खासियत
अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के इच्छुक लोगों को जिला अधिकारी के सामने एक निर्धारित प्रोफार्मा पर दो माह पहले इसकी सूचना देनी होगी। इजाजत मिलने पर वे धर्म परिवर्तन कर सकेंगे। इसका उल्लंघन करने पर छह माह से तीन साल तक की कैद और 10,000 रुपये जुर्माने की सजा तय की गई है। यूपी सरकार के मुताबिक, झूठ बोलकर, छल-प्रपंच करके धर्म परिवर्तन करने-कराने वालों से उत्तर प्रदेश सरकार पूरी सख्ती से निपटेगी। महज शादी के लिए अगर लड़की का धर्म बदला गया तो न केवल ऐसी शादी अमान्य घोषित कर दी जाएगी, बल्कि धर्म परिवर्तन कराने वालों को दस साल तक जेल की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है।