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अखाड़ा परिषद ने कहा, चीन को सबक सिखाने के लिए आर्मी में शामिल हो सकते हैं नागा संन्यासी

हिंदू संतों व साधुओं के शीर्ष संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (ABAP) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर नागा संन्यासी भी चीन को सबक सिखाने के लिए हथियार उठा सकते हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 19, 2020 16:31 IST
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Image Source : PTI REPRESENTATIONAL अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि नागा साधुओं के लिए देश सर्वोपरि है और धर्म उसके बाद आता है।

प्रयागराज: हिंदू संतों व साधुओं के शीर्ष संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (ABAP) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर नागा संन्यासी भी चीन को सबक सिखाने के लिए हथियार उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सीमाओं पर चीनी आक्रामकता का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए लाखों की तादाद में नागा संन्यासी भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने से बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाएंगे। उन्होंने कहा कि नागा साधुओं के लिए देश सर्वोपरि है और धर्म उसके बाद आता है।

‘दुश्मन को करारा जवाब देने में सक्षम है भारतीय सेना’

हमले की निंदा करते हुए गिरि ने कहा कि भारतीय सेना दुश्मन को करारा जवाब देने में सक्षम हैं, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो लाखों नागा साधू भी अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपनी सेना में शामिल हो सकते हैं। गिरि ने कहा कि नागा साधु भी शास्त्र और शस्त्र में समान रूप से प्रशिक्षित होते हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि नागा साधुओं को मार्शल आर्ट में भी प्रशिक्षित किया जाता है और वे अपने साथ त्रिशूल, तलवार, बेंत और भाले भी रखते हैं।

मुगलों से हिंदुओं की रक्षा करने के लिए लड़े थे नागा साधू
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत गिरी ने बताया, ‘एक बार मुगल शासकों से हिंदुओं की रक्षा करने के लिए वे प्रशिक्षित सशस्त्र बल के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं और इसके साथ ही कई सैन्य अभियानों में शामिल रह चुके हैं। हालांकि आजादी के बाद सशस्त्र गतिविधियों में नागाओं के शामिल रहने की वैसी कोई आवश्यकता नहीं पड़ी, इसलिए उन्होंने धर्म की ओर रुख किया।’ बता दें कि देश में नागा सन्यासियों की तादाद लाखों में है। उन्होंने कहा कि नागा संन्यासियों के लिए देश सबसे पहले है, धर्म का स्थान उसके बाद आता है।

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