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मुजफ्फरनगर दंगों के 131 केस वापस ले रही है योगी सरकार, नाराज ओवैसी ने कही यह बात

उत्तरप्रदेश सरकार ने 2013 में हुए मुजफ्फरनगर और शामली सांप्रदायिक दंगे से जुड़े 131 मुकदमे वापस लेना शुरू कर दिया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 22, 2018 19:47 IST
Yogi Adityanath- India TV Hindi
Yogi Adityanath

नयी दिल्ली: उत्तरप्रदेश सरकार ने 2013 में हुए मुजफ्फरनगर और शामली सांप्रदायिक दंगे से जुड़े 131 मुकदमे वापस लेना शुरू कर दिया है।  इन दंगों में 62 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 50 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए थे। इन 131 केस में 13 हत्या और 11 हत्या की कोशिश के केस हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार के इस फैसले की कांग्रेस और एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आलोचना की है। उन्होंने कहा कि बीजेपी संविधान के आधार पर नहीं बल्कि मजहब के आधार पर चला रही है सरकार। भाजपा के सांसद संजीव बालियान एवं अन्य पार्टी नेताओं ने पांच फरवरी 2018 को उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक ज्ञापन देकर मांग की कि 503 मुकदमों में से 179 मामलों को वापस लिया जाए। 

कांग्रेस ने सवाल किया कि क्या कोई भी मुकदमा धार्मिक आधार पर वापस लिया जा सकता है तथा चंद मामलों के बजाय इसमें सभी मुकदमों की समीक्षा क्यों नहीं की जानी चाहिए? कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर एवं शामली आदि में हुए दंगों में दुर्भाग्य से 62 लोगों की जानें गयीं और 503 मुकदमें दर्ज किये गये। 

सुरजेवाला ने योगी सरकार और भाजपा से चार सवाल पूछे। अगर दंगों के मामलों की समीक्षा ही करनी है तो केवल 179 की ही क्यों, पूरे 503 मुकदमों की क्यों नहीं? क्या गंभीर अपराध वाले मुकदमों को कोई सरकार राजनीतिक मुकदमे बताकर उन्हें वापस ले सकती है? क्या संविधान या कानून के अनुसार धर्म के आधार पर मुकदमों की वापसी हो सकती है? क्या मुख्यमंत्री इन मुकदमों को इस लिए तो वापस नहीं ले रहे क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि राजनीतिक नेताओं के खिलाफ मामलों की फास्ट ट्रैक अदालत में सुनवाई होनी चाहिए। 

इस बीच, उत्तर प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने आज लखनऊ में कहा कि राज्य सरकार साम्प्रदायिक दंगों के राजनीति से प्रेरित पाये जाने वाले मुकदमों की वापसी पर विचार कर सकती है। पाठक ने कहा, ‘‘भारतीय दण्ड विधान के तहत दंगों के मुकदमें भी आते हैं। ऐसे मुकदमे अगर राजनीति से प्रेरित पाये गये तो हम उन्हें वापस लेने के बारे में निश्चित रूप से विचार करेंगे।’’ 

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में सपा सरकार के कार्यकाल में मुजफ्फरनगर तथा आसपास के कुछ जिलों में हुए दंगों में कम से कम 62 लोगों की मौत हो गयी थी तथा हजारों अन्य बेघर हो गये थे। दंगों के मामले में करीब 1455 लोगों पर कुल 503 मुकदमे दर्ज किये गये थे।

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