लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबद्ध मुस्लिम राष्ट्रीय मंच अयोध्या में आम सहमति से राम मंदिर निर्माण के लक्ष्य को लेकर अगले महीने राजधानी लखनऊ से अयोध्या तक पदयात्रा करेगा। कार्यक्रम के संयोजक महिरध्वज सिंह ने बताया कि हम अयोध्या में आम सहमति से राम मंदिर निर्माण चाहते हैं। इसके लिए मंच लखनऊ से अयोध्या तक पदयात्रा करेगा। करीब 140 किलोमीटर की पदयात्रा 11 सितंबर को शुरू होकर 16 सितंबर को अयोध्या पहुंचेगी।
उन्होंने बताया कि पदयात्रा के दौरान लोगों को अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के बारे में जागरूक किया जाएगा। अयोध्या के कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता इंद्रेश कुमार और साधु संत हिस्सा लेंगे। मंच के राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजल ने कहा कि उनका संगठन मुस्लिम समुदाय के साथ लगातार बैठके करता आया है और वह उन्हें समझाने की कोशिश करता रहा है कि मंदिर मुद्दे का हल आम सहमति से हो।
अफजल ने दावा किया कि मंच को अयोध्या मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय से अनुकूल प्रतिक्रिया की उम्मीद है। गोवध के खिलाफ भी हमारा अभियान सफल रहा था।
उच्चतम न्यायालय ने 21 मार्च को राम मंदिर को संवेदनशील और भावनाओं से जुडा मुददा बताते हुए सलाह दी थी कि सबसे अच्छी बात यह होती कि इस मुद्दे का समाधान परस्पर सहमति से हो। अयोध्या पदयात्रा के बारे में मंच की मई में हरिद्वार बैठक के दौरान चर्चा की गयी थी। कार्यक्रम का ब्यौरा पूछने पर महिरध्वज ने बताया कि एक या दो दिन में इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
इस बीच बकरीद से ऐन पहले मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने मुसलमानों से अपील की है कि वे बकरों की कुर्बानी की बजाय अपनी बुरी आदतों की कुर्बानी दें। मंच के संयोजक अवध प्रांत उार प्रदेश सैयद हसन कौसर ने संवाददाताओं से कहा था कि बकरीद पर जानवर की कुर्बानी तीन तलाक की ही तरह ही बुरी परंपरा है। इस दिन कुर्बानी की वकालत करने वालों का जनता को बहिष्कार करना चाहिए। बकरीद के दौरान कुर्बानी इस्लाम में हराम है और गैर इस्लामिक है।
उन्होंने कहा कि यदि कोई कुर्बानी देना चाहता है तो उसे बुरी आदतों की कुर्बानी देनी चाहिए। हसन ने कहा कि जानवर की कुर्बानी को लेकर मुस्लिम समुदाय में कई तरह के अंधविश्वास हैं, जो बेहतर शिक्षा पाते हैं, वे ही इस्लाम को समझेंगे।
मंच के सह संयोजक के ए खुर्शीद आगा ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की वकालत करते हुए कहा कि कुरान के मुताबिक किसी विवादित जगह पर नमाज नहीं पढ़ी जा सकती, इसलिए अयोध्या में विवादित जगह पर बाबरी मस्जिद का निर्माण कैसे हो सकता है।