लखनऊ: संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने पार्टी में खींचतान के लम्बे चले दौर के बाद कार्यकर्ताओं को ‘आल इज वेल’ का संदेश देते हुए आज कहा कि उन्होंने अपने बेटे सपा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को आशीर्वाद दिया है और आगे भी देते रहेंगे। मुलायम ने अपने 79वें जन्मदिन पर सपा राज्य मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम अखिलेश को तो आशीर्वाद देते हैं और देते रहेंगे। इस सवाल को लेकर देश भर में चर्चाएं हैं कि हमने अखिलेश को आशीर्वाद दिया। मैंने कहा कि वह मेरा लड़का भी है और राजनीति भी करता है। मेरे लिये वह लड़का पहले है, और नेता बाद में।’’
सपा राज्य मुख्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में शिवपाल और रामगोपाल यादव दोनों शामिल नहीं हुए। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इसमें शामिल हुए लेकिन वो केक खाने को तैयार नहीं थे। इस पर मुलायम ने पार्टी के एक नेता किरणमय नंदा से कहा- उसे पकड़ो इसके बाद अखिलेश को केक खिलाया गया।
मुलायम ने कार्यक्रम में कहा कि मुसलमानों ने सपा का साथ नहीं छोड़ा है। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा के नेता उनका वोट नहीं डलवा सके। अगर वोट डलवा दें तो मुसलमान सपा को उसी तरह का वोट दे रहा है, जितना पहले दे रहा था। जिन मुसलमानों ने वोट दिया उनमें से 90 प्रतिशत ने सपा को ही दिया। उन्होंने कहा ‘‘आमतौर पर मुसलमान आज भी सपा के साथ सहानुभूति रखता है, लेकिन (मौजूदा हालात को) आप कैसे ठीक करोगे, बूथ कैसे चलवाओगे..... उनकी मुसीबत में साथ देकर।’’
सपा संस्थापक ने कहा, ‘‘1990 में अपने मुख्यमंत्रित्व काल में देश की एकता के लिए कारसेवकों पर गोलियां चलवायीं। उसमें 28 लोग मारे गये। अगर और मारने होते तो हमारे सुरक्षाबल और मारते।’’ उन्होंने दावा किया ‘‘आज हम आपको गोपनीय बात बता रहे हैं....अगर हम मस्जिद नहीं बचाते तो, उस दौर के कई मुस्लिम नौजवानों ने हथियार उठा लिए थे। (उन्होंने) कहा कि जब हमारा पूजास्थल नहीं रहेगा तो देश हमारा है कैसे? इन सवालों को आपको जानना होगा।’’
पिछले विधानसभा चुनाव में सपा को महज 47 सीटें मिलने को ‘शर्म की बात‘ करार देते हुए उन्होंने कहा कि अयोध्या में गोली चलवाने के बाद भी 1993 के विधानसभा चुनाव में सपा 105 सीटें जीत गयी थी और फिर उसकी सरकार बन गयी थी। उस वक्त सपा के नौजवान कार्यकर्ता जैसे थे, आज उन जैसे नौजवानों की कमी है। कई तो अपने गांव के बूथ नहीं जिता सकते।
उन्होंने कहा कि यहां एक नेता ऐसे बैठे हैं, जिनके गांव के बूथ पर सपा हार गई, तब भी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें कितना सम्मानजनक पद दे दिया। उन्होंने कहा, ‘‘ हम खुलकर बोल रहे हैं कि हम पार्टी को कमजोर नहीं देखना चाहते। मैंने अकेले यह पार्टी बनाई थी। सब मिलकर समाज को एक करके समता और सम्पन्नता के लक्ष्य को ले कर चलेंगे तो सपा पहले जैसी मजबूत हो जाएगी।’’
मुलायम ने कहा, ‘‘एक बार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लोकसभा में कहा था कि अयोध्या में गोली चलने से 56 लोगों की मौत हुई थी। हमने कहा कि अगर आप 56 की सूची हमें दे दे तो मैं पैर छूकर माफी मागूंगा। उनके पास सूची नहीं थी। सच्चाई यह थी कि 28 लोग मरे थे, उनमें से जो 12 उपेक्षित रह गये थे, उनके परिजन की मैंने चुपचाप मदद कर दी थी।’’
सपा संस्थापक ने कहा कि आज उनका जन्मदिन भव्य तरीके से मनाया जा रहा है लेकिन आज भी 35 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो दिन में दो बार अरहर की दाल के साथ खाना नहीं खा सकते। उन्होंने कार्यकर्ताओं को ताकीद की ‘‘हमारा जन्मदिन मनाना तब सफल होगा, जब संकल्प करके जाना कि जहां पर जो भी व्यक्ति अभाव में हो, उसका साथ दो। चुपचाप मदद करो ताकि उसे हासिल करने वाले व्यक्ति की बदनामी ना हो।’’
मुलायम ने पार्टी कार्यकर्ताओं को नसीहत दी कि वे समाजवाद के प्रणेता राम मनोहर लोहिया की सात क्रांतियों का अनुसरण करें। वे भाषा, क्षेत्रीयता, जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव ना होने दें। देश को जोड़ने के लिये सब एक हों। कार्यकर्ताओं को लोहिया के विचारों को पढ़कर उन्हें अपने आचरण में उतारना होगा, गरीबों और वंचितों की मदद करनी होगी, तभी जनता के मन में उनकी और सपा की छवि अच्छी होगी।