गौतम बुद्धनगर/मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के गोवर्धन में प्रतिवर्ष 5 दिवसीय राजकीय मुड़िया पूर्णिमा मेले का आयोजन आषाढ़ पूर्णिमा पर होता है। इस बार ये मेला 20 से 24 जुलाई तक लगना था। लेकिन, कोरोना महामारी के चलते गोवर्धन का विश्व प्रसिद्ध मुड़िया पूर्णिमा मेला निरस्त कर दिया गया है। जिलाधिकारी नवनीत सिंह ने इसे लेकर आदेश भी जारी किए हैं। बता दें कि, गत वर्ष भी कोरोना के चलते मुड़िया पूर्णिमा मेले को निरस्त कर दिया गया था।
20 से 24 जुलाई तक लगना था मेला
डीएम की तरफ से गठित टीम की रिपोर्ट पर ये फैसला लिया गया है। डीएम ने बताया कि राजकीय मुड़िया पूर्णिमा मेला गोवर्धन में आषाढ़ माह की एकादशी पर लगता है। जिसमें देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस बार ये मेला 20 से 24 जुलाई तक लगना था। वर्तमान में देश-विदेश में कोरोना महामारी का प्रकोप है। मथुरा जनपद के गोवर्धन क्षेत्र में प्रतिवर्ष राजकीय मुड़िया पूर्णिमा मेला आयोजित होता है। वैश्विक महामारी से मथुरा जनपद भी प्रभावित है।
महामारी अधिनियम के प्रावधान वर्तमान समय में लागू
कोरोना महामारी अधिनियम के प्रावधान वर्तमान समय में लागू हैं। मेला लगे या नहीं इस संबंध में चिकित्सा अधीक्षक गोवर्धन, सीओ गोवर्धन, एसडीएम गोवर्धन और एडीएम प्रशासन की संयुक्त समिति गठित की गई थी। समिति ने दानघाटी, मानसी गंगा, मुखारबिंद और जतीपुरा के सेवायतों, संत-धर्माचायों से वार्ता की। सभी ने मेला निरस्त किए जाने का अनुरोध किया, जिसके बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी। मथुरा के जिलाधिकारी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि मथुरा में आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 एवं महामारी अधिनियम, 1997 के प्रावधान वर्तमान में लागू है।
बता दें कि, मथुरा डीएम की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि मुड़िया पूनों मेला में न सिर्फ आस-पास के जनपदों बल्कि विभिन्न प्रांतों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मथुरा जनपद के अलावा राजस्थान प्रदेश का भरतपुर भी कोरोना महामारी से प्रभावित है। उल्लेखनीय है कि मुड़िया पूनों मेला के परिक्रमा मार्ग में जनपद भरतपुर का ढाई से 3 किलोमीटर का क्षेत्रफल पड़ता है। मुड़िया पूनों मेला में भारी मात्रा मं भीड़ एकत्रित होने पर सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन भी संभव नहीं हो सकेगा, जिससे महामारी के तीव्र गति से फैलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, जो लोक स्वास्थ्य के हित में नहीं होगा।
क्यों मनाया जाता है मुड़िया पूर्णिमा मेला
बता दें कि, ये 463 वर्ष पुरानी परंपरा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सनातन गोस्वामी का आविर्भाव वर्ष 1488 में पश्चिम बंगाल के रामकेली गांव, जिला मालदा के भारद्वाज गोत्रीय यजुर्वेदीय कर्णाट विप्र परिवार में हुआ था। वे पश्चिम बंगाल के राजा हुसैन शाह के यहां मंत्री थे। चैतन्य महाप्रभु की भक्ति से प्रभावित होकर सनातन गोस्वामी उनसे मिलने वाराणसी आ गए और उनकी प्रेरणा से ब्रजवास कर भगवान कृष्ण की भक्ति करने लगे।