लखीमपुर (उत्तर प्रदेश): एक ओर जहां देश बढ़ती जनसंख्या को लेकर चिंतित है, वहीं मोहम्मद शरीफ को इस बात से कोई सरोकार नहीं है। शरीफ का कहना है कि तीन पत्नियों और 15 बच्चों के साथ जिले के वह सबसे बड़े परिवार को संभालते हैं। बौधियां कलां गांव में वह अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं। गांव की कुल आबादी 6,000 है। शरीफ ने बताया कि 14 साल की उम्र में उनकी पहली शादी 1987 में जट्टा बेगम से हुई।
पहली पत्नी से उनके तीन बेटे और पांच बेटियां हैं। उन्होंने कहा, "मैं नूर से मिला और करीब 1990 के दशक में उससे शादी की। उसने मुझे चार बेटियां और एक बेटा दिया है। 2000 में, मैंने एक नेपाली तरन्नुम बेगम से शादी की और उसने मुझे एक बेटा और एक बेटी दी है।"
दिलचस्प बात यह है कि शरीफ यह मानते हैं कि उन्हें अपने सभी बच्चों के नाम याद नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वह हर शाम यह सुनिश्चित करने के लिए गिनती करते हैं कि सभी बच्चे घर पर हैं या नहीं। उनका सबसे बड़ा बेटा 24 साल का है और सबसे छोटी बेटी 2 साल की है।
शरीफ ने कहा, "मुझे ऐसा प्यार करने वाला परिवार मिला है, जहां सभी एक साथ रहते हैं, यहां तक कि पत्नियां भी। मैं कभी ऐसी स्थिति में नहीं आया, जहां मेरे बच्चों या पत्नियों ने कभी एक-दूसरे से बहस किया हो।"
पेशे से एक कृषि मजदूर, मोहम्मद शरीफ का दृढ़ विश्वास है कि "अगर अल्लाह हमें धरती पर भेजता है, तो वह सुनिश्चित करता है कि कोई भी खाली पेट न सोए।" शरीफ ने बताया कि अक्सर उन्हें मजदूरी के बदले अनाज मिलता है और इससे परिवार का गुजारा होता है।
उन्होंने हाल ही में अपनी तीनों पत्नियों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तीन आवासों के लिए आवेदन किया है। शरीफ परिवार नियोजन कार्यक्रमों से अनजान हैं और जोर देकर कहते हैं कि बच्चे ईश्वर की ओर से उपहार हैं। उन्होंने कहा, "मुझे खुशी होती अगर मेरे और बच्चे होते।"