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पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य भाग ने तय की थी सपा की जीत

लखनऊ: वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) खासकर मध्य क्षेत्र में अपने माफिक नतीजों के कारण प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आयी थी, ऐसे में अब यह

Bhasha
Updated on: March 01, 2017 15:38 IST
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लखनऊ: वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) खासकर मध्य क्षेत्र में अपने माफिक नतीजों के कारण प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आयी थी, ऐसे में अब यह सवाल महत्वपूर्ण है कि क्या इस बार भी वह अपनी कामयाबी दोहरा पायेगी।

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पिछले विधानसभा चुनाव में सपा ने कुल 403 में से 224 सीटें जीती थीं। प्रदेश के यादव बहुल मध्य क्षेत्र में सपा ने प्रतिद्वंद्वियों को मीलों पीछे छोड़ते हुए कुल 98 में से 76 सीटें हासिल की थीं, मगर बसपा के गढ़ बुंदेलखण्ड में उसे इस पार्टी ने पछाड़ते हुए बढ़त हासिल की थी।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के बीच कांटे की टक्कर थी और इस क्षेत्र में सपा को 29 तथा बसपा को 28 सीटें मिली थीं। हालांकि पूर्वांचल में सपा ने जबर्दस्त प्रदर्शन करते हुए बसपा का तिलिस्म तोड़ दिया था और उसने इस क्षेत्र की 150 में से 85 सीटें जीती थीं। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग के बलबूते पूर्वांचल में 79 सीटें हासिल की थीं, मगर 2012 के चुनाव में वह लुढ़ककर 25 सीटों पर आ गयी।

वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो यह माना जा सकता है कि मध्य यूपी के परिणामों ने सम्पूर्ण नतीजों का रुख तय किया था। हालांकि यह यादव बहुल पट्टी मानी जाती है लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से सपा के लिये इतने अच्छे नतीजे आये कि खुद सपा ने भी इसकी उम्मीद नहीं की थी। इस क्षेत्र में उसने 98 में से 76 सीटें हासिल की थीं।

सपा ने रहेलखण्ड में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया था। और उसे इस क्षेत्र की 52 में से 29 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। यहां बसपा का प्रदर्शन फीका रहा था। प्रदेश का सबसे पिछड़ा क्षेत्र माना जाने वाला बुंदेलखण्ड ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र था जहां सपा पिछड़ गयी थी। हालांकि भाजपा ने मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को यहां के चरखारी क्षेत्र से उम्मीदवार बनाकर इस क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने की कोशिश की थी, लेकिन उसकी यह कोशिश कामयाब नहीं हो सकी थी।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के बीच जबर्दस्त टक्कर हुई थी। यह इलाका परम्परागत रूप से बसपा का गढ़ माना जाता है। हालांकि इसके कुछ क्षेत्रों में भाजपा और राष्ट्रीय लोकदल का भी दबदबा है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में सपा को मुसलमानों का भी जबर्दस्त समर्थन मिला था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस कौम के लोगों का बाहुल्य है।

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