इलाहाबाद। देश में चुनावी माहौल है। सभी दलों के नेता जमकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। चुनाव प्रचार के लिए बड़ी रैलियों से लेकर डोर-टू-डोर कैंपेन चल रहा है। डोर-टू-डोर कैंपेन में थोड़ा ज्यादा वक्त लगता है, लेकिन अगर डोर-टू-डोर कैंपेन में एक की छत के नीचे 50 से ज्यादा वोटर मिल जाएं, तो नेता भी खुश हो जाते हैं।
ऐसा ही एक परिवार है इलाहाबाद के बहराइच गांव में राम नरेश भूरिया का परिवार। इस परिवार में 82 सदस्य हैं, जिनमें 66 मतदाता हैं। आर्थिक रूप से खुशहाल परिवार खेती करता है और परिवार के दो सदस्य मुंबई में प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं।
98 साल के परिवार के मुख्या राम नरेश बड़े गर्व से बताते हैं कि सभी सदस्यों के लिए घर में एक ही रसोईघर है। हर रोज 20 किलोग्राम सब्जी, 15 किलोग्राम चावल और 10 किलोग्राम गेहूं का इस्तेमाल कर परिवार की महिलाएं सभी परिजनों के लिए खाना बनाती हैं।
उन्होंने कहा, "मुझे इस बात की खुशी है कि परिवार के एक भी सदस्य ने कभी यह नहीं कहा कि उन्हें अलग जाकर रहना है। मैं लोगों के लिए और देश के लिए साथ मिलकर रहने को लेकर एक उदाहरण पेश करना चाहता हूं।"
इस बार राम नरेश भूरिया के परिवार के आठ सदस्य पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। राम नरेश ने बताया कि उनके सभी पोते पहली बार चुनाव में मतदान को लेकर काफी उत्साहित हैं। मतदान को लेकर राम नरेश ने कहा, “आमतौर पर परिवार दोपहर के भोजन के बाद मतदान करने के लिए बाहर जाता है, क्योंकि उस समय मतदान केंद्रों पर भीड़ कम होती है। हम सभी एक पोलिंग बूथ पर पंजीकृत है और चुनाव के वक्त मतदान अधिकारी भी हमारा स्वागत करते हैं।"
इतने वोटों के बावजूद प्रत्याशियों से मिलता है तो सिर्फ आश्वासन
यह परिवार मिट्टी की दीवारों के साथ एक फूस के घर में रहता है। अभी इस परिवार के लोग एक 'पक्का घर' बनाने की योजना बना रहे हैं, लेकिन हाईटेंशन तार एक बड़ी समस्या है। परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य शंकर ने कहा, "जब भी चुनाव का समय होता है, हम उम्मीदवारों से हाईटेंशन तारों को हटाने का अनुरोध करते हैं और वे हमें आश्वासन देते हैं, लेकिन चुनाव खत्म हो जाने के बाद, कोई भी वापस नहीं आता।"
उन्होंने आगे कहा, "हमने बिजली विभाग को कई बार लिखा है लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई है। इस बार हम फिर से उम्मीदवारों से हमारी समस्या को हल करने के लिए कह रहे हैं और हमें फिर से आश्वासन मिला है। लेकिन अगली बार से, हम तभी वोट करेंगे जब हमारी समस्या हल हो जाएगी।"