मेरठ। उत्तर प्रदेश के मेरठ में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मुस्लिमों के समूह को एक पुलिस अधिकारी द्वारा पाकिस्तान चले जाने को कहे जाने से जुड़ा वीडियो वायरल होने के बाद विवाद पैदा हो गया है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार को वीडियो साझा करते हुए भाजपा पर आरोप लगाया कि वह संस्थाओं में "सांप्रदायकि जहर" घोल रही है।
घटना कथित रूप से 20 दिसंबर को लिसारी गेट पुलिस थाना इलाके में हुई, जब मेरठ के पुलिस अधीक्षक अखिलेश नारायण सिंह बीते सप्ताह शहर में हिंसक प्रदर्शनों और झड़पों के बाद एक संकरी गली में कुछ स्थानीय लोगों से बात कर रहे थे। इस संबंध में स्थानीय मीडिया को सफाई देते हुए नगर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि जो कुछ भी वीडियो में सुना गया है, वह प्रदर्शनकारियों के उस समूह को जवाब था जो पाकिस्तान के समर्थन में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगा रहा था। उन्होंने कहा, “प्रतिक्रिया स्वरूप, मैंने यह सलाह दी कि यह बेहतर होगा कि वहां चले जाएं जहां के समर्थन में वे नारे लगा रहे थे।”
वीडियो एक मिनट 43 सेकंड का है, जिसमें पुलिस अधिकारी कथित रूप से कह रहे हैं, "ये जो काली और पीली पट्टी बांधे हुए हैं इनको कह दो कि पाकिस्तान चले जाओ, खाओगे यहां का, गाओगे कहीं और का।" उन्होंने कहा, "ये गली मुझे याद हो गई है, याद रखना। और जब मुझे याद हो जाता है तो नानी तक पहुंच जाता हूं।"
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संविधान किसी भी नागरिक के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देता। उन्होंने वीडियो साझा करते हुए हिंदी में ट्वीट किया, "भारत का संविधान किसी भी नागरिक के साथ इस भाषा के प्रयोग की इजाजत नहीं देता और जब आप अहम पद पर बैठे अधिकारी हैं तब तो जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।" प्रियंका ने कहा कि "भाजपा ने संस्थाओं में इस कदर साम्प्रदायिक जहर घोला है कि आज अफसरों को संविधान की कसम की कोई कद्र ही नहीं है।"
इस वीडियो पर समाजवादी पार्टी के नगर विधायक रफीक अंसारी ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे पुलिस अधिकारी को संयम रखना चाहिए। उन्हें इस तरह की गैर संवैधानिक बातें नहीं कहनी चाहिए। आखिर जिन लोगों के बारे में वह बोल रहे हैं, वे भी देश के ही लोग हैं।
वहीं, मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार ने भी एसपी का बचाव करते हुए कहा है कि वायरल हुआ वीडियो बीते 20 दिसंबर को मेरठ शहर में हुए उपद्रव के बाद का है। उन्होंने बताया कि इसमें तथ्य यह है कि वहां भारत विरोधी एवं पड़ोसी देश जिन्दाबाद के नारे लग रहे थे और कुछ लोग पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के आपतिजनक पर्चे बांट रहे थे। इस सूचना पर एसपी सिटी एवं एडीएम सिटी मौके पर गए थे।
उन्होंने उपद्रवियों से कहा था कि आप जाना चाहते हैं तो कहीं भी जाएं, लेकिन यहां उपद्रव न करें। कुमार ने कहा कि घटना के एक सप्ताह बाद इस तरह के वीडियो का वायरल होना विशेषकर जब कल शुक्रवार को शांति थी, एक साजिश का हिस्सा है ताकि यहां के हालात सामान्य न हो पाएं। उन्होंने स्थानीय जनता की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां के लोगों ने प्रण लिया है कि सभी लोग पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलकर शहर के हालात को सामान्य बनाए रखकर असामाजिक तत्वों की किसी भी साजिश को सफल नही होने देंगे।
उल्लेखनीय है कि संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में मेरठ में 20 दिसंबर को भारी बवाल हुआ था। मेरठ में गोली लगने से पांच युवकों की मौत हो गई थी। उपद्रवियों ने पुलिस की दो दर्जन से ज्यादा गाड़ियों को फूंक दिया था। जमकर पथराव और फायरिंग हुई थी।