लखनऊ/हाथरस: हाथरस केस में जिलाधिकारी की भूमिका पर उठ रहे सवालों और पीड़ित परिवार के आरोपों के बीत बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने रविवार सुबह ट्वीट कर जिलाधिकारी पर पीड़ित परिवार द्वारा धमकाने के आरोपों के बावजूद यूपी सरकार की चुप्पी को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की चुप्पी दुःखद और अति-चिन्ताजनक है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट में लिखा, "हाथरस गैंगरेप काण्ड के पीड़ित परिवार ने जिले के डीएम पर धमकाने आदि के कई गंभीर आरोप लगाए हैं, फिर भी यूपी सरकार की रहस्मय चुप्पी दुःखद व अति-चिन्ताजनक। हालांकि सरकार CBI जाँच हेतु राजी हुई है, किन्तु उस डीएम के वहाँ रहते इस मामले की निष्पक्ष जाँच कैसे हो सकती है? लोग आशंकित।"
वहीं, गौरतलब हो कि जिले में अभी तक सिर्फ पुलिसकर्मियों पर ही एक्शन हुआ है जबकि आरोप डीएम पर भी लगे हैं। ऐसे में IPS एसोसिएशन भी नाराज है। सूत्रों के अनुसार, IPS एसोसिएशन का मानना है कि पुलिसकर्मियों पर एकतरफा कार्रवाई की गई जबकि मामले की जिम्मेदारी पूरे प्रशासन पर तय होनी चाहिए थी। अगर एसपी पर कार्रवाई हो सकती है तो डीएम पर क्यों नहीं?
सूत्रों के अनुसार, IPS एसोसिएशन का मानना है कि अगर कोई लापरवाही हुई है तो सिर्फ पुलिस महकमा ही उसके लिए कैसे जिम्मेदार है? एसोसिएशन का मानना है कि आदेश प्रशासनिक होते हैं और पुलिस महकमा उन आदेशों को लागू करवाता है। कार्रवाई सिर्फ पुलिस पर हुई जबकि किसी भी मामले में सभी फैसले जिला प्रशासन करता है, पुलिस महकमा अकेले नहीं करता।
बता दें कि हाथरस की घटना पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कड़ा रुख अख्तियार करते हुए पुलिस अधीक्षक, तत्कालीन क्षेत्राधिकारी और प्रभारी निरीक्षक समेत कई जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया जिसके बाद इन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने शुक्रवार को इस फैसले की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने हाथरस की घटना की जांच के लिए एसआईटी टीम गठित की थी। एसआईटी की रिपोर्ट मिलने के बाद लापरवाही और ढिलाई बरतने के आरोप में पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर, तत्कालीन क्षेत्राधिकारी राम शब्द, तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक दिनेश कुमार वर्मा, वरिष्ठ उपनिरीक्षक जगवीहर सिंह, हेड मुहर्रिर महेश पाल को निलंबित कर दिया गया है। विनीत जायसवाल को हाथरस का नया पुलिस अधीक्षक बनाया गया है।
हालांकि, गौरतलब है कि पीड़ित परिवार ने जिलाधिकारी पर धमकाने का आरोप लगाया है। पीड़िता के भाई ने शनिवार को डीएम और एसडीएम को बर्खास्त करने की मांग की थी। पीड़िता के भाई ने बताया कि जब डीएम साहब से परिवार ने शव न देख पाने की शिकायत की तो उन्होंने बोला कि आप लोग पोस्टमार्टम का मतलब जानते भी हो क्या? पोस्टमार्टम के बाद शव इस तरह क्षत विक्षत हो जाता है कि आप उसे देखकर 4 दिन तक खाना न खा पाते।