Monday, December 23, 2024
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मायावती ने 7 बागी विधायकों को पार्टी से निलंबित किया

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने बृहस्पतिवार को अपनी पार्टी के सात बागी विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निलंबित कर दिया। इन विधायकों ने राज्यसभा चुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी रामजी गौतम के नामांकन का विरोध किया था।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : October 29, 2020 20:29 IST
Mayawati suspended seven rebel MLAs
Image Source : PTI Mayawati suspended seven rebel MLAs

नयी दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने बृहस्पतिवार को अपनी पार्टी के सात बागी विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निलंबित कर दिया। इन विधायकों ने राज्यसभा चुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी रामजी गौतम के नामांकन का विरोध किया था। मायावती ने अपने कुछ विधायकों के पाला बदलने की अटकलों के बीच समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधा और कहा कि भविष्य में विधान परिषद और राज्यसभा चुनाव में सपा के उम्मीदवारों को हराने के लिए उनकी पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ेगी तथा जरूरत पड़ी तो भाजपा या किसी अन्य पार्टी के प्रत्याशी को समर्थन देगी। 

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसे ही बागी विधायक किसी भी अन्य पार्टी में शामिल होते हैं तो बसपा उनके खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी संगठन को सूचित किया गया है कि निलंबित विधायकों को पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया जाना चाहिए। पार्टी के एक बयान के अनुसार चौधरी असलम अली, हाकिम लाल बिंद, मोहम्मद मुज्तबा सिद्दीकी, असलम रैनी, सुषमा पटेल, हरगोविंद भार्गव और वंदना सिंह को निलंबित किया गया है। 

उन्होंने बताया कि भविष्य के चुनाव में बसपा द्वारा निलंबित विधायकों को नहीं उतारा जायेगा। मायावती ने एक बयान में कहा कि भविष्य में सपा उम्मीदवारों को हराने के लिए बसपा पूरी ताकत लगाएगी और जरूरत पड़ी तो भाजपा या किसी अन्य पार्टी के प्रत्याशी को समर्थन देगी। बसपा को बुधवार को उस समय झटका लगा था जब पार्टी के छह विधायकों ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से कथित तौर पर मुलाकात की थी और इसके बाद उन्होंने संकेत दिये थे कि वे पार्टी बदल सकते हैं। 

इसके साथ ही इनमें से चार विधायकों ने हलफनामा दायर कर कहा कि बसपा के राज्यसभा उम्मीदवार रामजी गौतम की उम्मीदवारी के प्रस्तावक के तौर पर उनके हस्ताक्षर ‘‘फर्जी’’ है। मायावती ने दावा किया कि समाजवादी पार्टी ने जब अपने वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव को मैदान में उतारा तो बसपा महासचिव सतीश मिश्रा ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। 

बाद में उन्होंने राम गोपाल यादव से संपर्क किया जिन्होंने कहा कि सपा दूसरे उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारेगी। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव से संपर्क करने की मिश्रा की कोशिशों को नजरअंदाज कर सपा ने न केवल बसपा नेता बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण समुदाय का अपमान किया है। बसपा प्रमुख ने कहा कि उनका विचार था कि अगर अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव को मैदान में उतारते है तो बसपा को उम्मीदवार नहीं उतारना चाहिए। लेकिन सपा ने एक निर्दलीय को मैदान में उतारकर बसपा को धोखा दिया। 

मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी के खिलाफ 1995 गेस्ट हाउस मामले को वापस लेना और लोकसभा चुनाव में उसके साथ गठबंधन करना एक ‘‘बड़ी गलती’’ थी। उन्होंने कहा कि फैसला जल्दबाजी में लिया गया। उन्होंने कहा कि जैसे ही गठबंधन करने का फैसला लिया गया सपा नेतृत्व ने मामले को वापस लेने का दबाव बनाया। उन्होंने दावा किया कि सपा ने एक बार फिर बसपा को धोखा दिया। समाजवादी पार्टी को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी को यदि लंबे समय तक बने रहना है तो सिद्धांतों की राजनीति करनी चाहिए।

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