लखनऊ. मायावती द्वारा संघ प्रमुख मोहन भागवत पर बड़ा हमला बोला गया है। मायावती ने कहा कि RSS प्रमुख का कल दिया गया ताजा बयान वास्तव में लोगों को न केवल अविश्वसनीय लगता है बल्कि मुंह में राम- बगल में छुरी ही ज्यादा लगता है। जबतक RSS भाजपा और कंपनी अपनी सरकारों की सोच और कार्यशैली में सर्वसमाज के हित में संवैधानिक परिवर्तन नहीं आएगा तबतक इनकी बातों पर मुस्लिम समाज पर विश्वास करना मुश्किल लगता है।
उन्होंने राजधानी लखनऊ में मीडिया को ब्रीफ करते हुए कहा कि RSS प्रमुख मोहन भागवत द्वारा गाजियाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में भारत में सभी धर्मों के लोगों का डीएनए एक होने और हिंसा हिंदुत्व के खिलाफ होने को लेकर जो बात कही गयी है वह किसी के भी गले से नीचे आसानी से उतरने वाली नहीं है।
BSP मुखिया ने कहा कि RSS तथा BJP के लोगों की कथनी और करनी में अंतर सभी देखते हैं। RSS प्रमुख देश की राजनीति को विभाजनकारी बताकर जो कोस रहे हैं, यह ठीक नहीं है। सच्चाई तो ये है कि जिस भाजपा और उनकी सरकारों को जनहित और देशहित की परवाह किए बिना आंखबंद कर समर्थन देते आ रहे हैं, उसी का परिणाम है कि यहां जातिवाद, राजनीतिक द्वेश और सांप्रदायिक हिंसा का जहर जनजीवन को त्रस्त किए हुए हैं।
मायावती ने आगे कहा कि BSP को अगर लगता की BJP सही में RSS के सिकंजे से निलकर संविधान की सोच के साथ चलकर सर्वसमाज के हित में काम कर रही है तो काफी पहले 1995 में ही BSP इनका बाहरी समर्थन ठुकराकर यूपी की सरकार से त्यागपत्र नहीं देती। उस समय सपा की जाति और हिंसावादी राजनीति से तंग आकर कांग्रेस, भाजपा और अन्य सभी विरोधी पार्टियां बीएसपी की सरकार को समर्थन दे रही थी। साल 2003 में भी इनकी गलत नीतियों के कारण बसपा इनसे दूर हुई।
उन्होंने आगे कहा कि RSS के समर्थन और सहयोग के बिना भाजपा का अस्तित्व नहीं है, फिर भी आरएसएस अपनी कही गई बातों को भाजपा और इनकी सरकारों से लागू क्यों नहीं कर पा रही है जो इन्होंने कल बातें कही हैं, यह भी गंभीरता से सोचने की बात है। मायावती ने कहा कि RSS की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर हैं। जातिवाद, संप्रदायिकता के बारे में ये लोग जो कहते हैं, करते ठीक उससे विपरीत हैं।
धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर मायावती ने कहा कि देश में डरा धमकाकर या लालच देकर किसी का भी जबरन धर्म परिवर्तन कराना पूरी तरह सै अवैध है। ऐसे मामलों की सही जांच कराकर इसके दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इसके पीछे अगर कोई भी देश विरोधी साजिश है तो ऐसे लोगों के विरुद्ध कानूनी शिकंजा कसना चाहिए, लेकिन एक सोची समझी रणनीति और साजिश के तहत इसकी आड़ में इसे जबरन हिंदू मुस्लिम मुद्दा बनाना और पूरे मुस्लिम समाज को शक की नजर देखना उचित नहीं है, बसपा इसका विरोध करेगी।