लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी में कुछ बदलाव किए हैं। उन्होंने वंशवाद की राजनीति को एक कदम आगे बढ़ाते हुए अपने भाई आनंद को बसपा का उपाध्यक्ष और भतीजे आकाश को पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया है। बता दें मायावती ने पहले भी भाई आनंद को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया था लेकिन फिर उन्होंने साल 2018 में आनंद को पद से हटा दिया था। हालांकि, मायावती के भतीजे आकाश को पार्टी में पहली बार नेशनल कोऑर्डिनेटर का पद दिया है।
बीते लोकसभा चुनावों से पहले मायावती के भतीजे आकाश का पार्टी में या राजनीति में कहीं से कहीं तक कोई नाम नहीं था लेकिन फिर चुनाव प्रचार के दौरान अचानक ही आकाश मायावती के साथ मंचों पर नजर आने लगे। तभी ये कहा जाने लगा था कि मायावती अपने भतीजे को राजनीति में उतारने वाली हैं और ऐसा ही हुआ उन्होंने आकाश को नेशनल कोऑर्डिनेटर बना दिया।
वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती के इस फैसले पर भाजपा ने उन्हें आड़े हाथों लिया। BJP ने कहा कि मायावती के व्यक्तिवादी एवं परिवारवादी राजनीति का चेहरा बेनकाब हो चुका है। भाजपा के उत्तर प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चंद्र श्रीवास्तव ने कहा, ''मायावती के व्यक्तिवाद और परिवारवादी राजनीति का चेहरा बेनकाब हो चुका है। वंशवाद, परिवारवाद, जातिवाद एवं व्यक्तिवाद की राजनीति को जनता खारिज कर चुकी है।''
उन्होंने कहा, ''भाजपा ने बसपा-सपा गठबंधन को लेकर पहले ही कहा था कि यह अवसर परस्त महज चुनावी गठबंधन है। मायावती ने दलितों के नाम पर वोट लेकर दलितों को ही हाशिये पर रखा। वो अपने परिवार के सिवा और किसी की कैसे हो सकती हैं? बहनजी का इतिहास विश्वासघात का रहा है।'' श्रीवास्तव ने कहा कि भ्रष्टाचार एवं भाई-भतीजावाद को समाजवाद कहने वाले अखिलेश यादव को स्वार्थपरकता और अवसरवादी राजनीति के लिये मायावती से हाथ मिलाने से पहले सौ बार सोचना चाहिए था कि जिस भाजपा ने मायावती की जान तथा सम्मान को बचाया, जिसे राजनीति में स्थापित करते हुए मुख्यमंत्री बनाया, जब वो उसकी नहीं हुईं तो कुनबे की राजनीति करने वाले सपा की कैसे होंगी।
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘जैसी करनी होती है, वैसी ही भरनी होती है। सत्ता के लिये अखिलेश ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल को धोखा दिया था और इसकी सजा उन्हें मायावती से विश्वासघात पाकर से मिली।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मायावती और अखिलेश की कार्यशैली एक है। दोनों को परिवारवाद, वंशवाद और भ्रष्टाचार की सत्ता चाहिए, इसलिए इन दोनों का एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप हास्यास्प्रद है।’’ श्रीवास्तव ने कहा कि भाजपा यह कहती रही है कि लोकसभा चुनाव परिणाम के तुरंत बाद मायावती गठबंधन तोड़ देंगी और ऐसा हुआ भी।