लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने सोमवार को आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा बाढ़ की आड़ में भी घिनौनी राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि बसपा पर बाढ़ ग्रस्त लोगों की मदद करने की बजाय जातिवादी सम्मेलन करने में व्यस्त होने का भाजपा का आरोप कितना सही है, जनता यह सब जानती है क्योंकि खुद भाजपा के मंत्रियों की आज से प्रदेश में ’जन आर्शीवाद यात्रा’ शुरू हुई हैं।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई ने रविवार को एक पोस्टर ट्वीट किया था जिसमें कर्मयोगी के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिखाया गया था जिसमें वह बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं, दूसरी तरफ सत्ताभोगी के रूप में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती को दिखाया गया था। मायावती के बारे में लिखा गया था, ''बाढ़ ग्रस्त लोगों के बजाय जातिवादी सम्मेलन में व्यस्त''।
मायावती ने प्रतिक्रिया देते हुए सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि बसपा के लोगों ने सबसे पहले आगे आकर अपने सामर्थ्य के हिसाब से कोरोना काल में सरकारी उपेक्षा के शिकार लोगों की काफी बढ़-चढ़कर मदद की है। इसी प्रकार बसपा के लोग हमेशा बाढ़ पीड़ितों की भी मदद करते रहे हैं और अभी भी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा को हमारी पार्टी को सलाह देने की जरूरत नहीं है बल्कि भाजपा सरकार को अपनी जिम्मेवारी को सही से निभाते हुये बाढ़ पीड़ितों की पूरी मदद करनी चाहिये। केवल हवाई दौरा करने से बाढ़ पीड़ितों की समस्या हल होने वाली नहीं है।
उन्होंने कहा कि बाढ़ के समय में ही भाजपा ने आज से अपनी जन आशीर्वाद यात्रा शुरू की है। बेहतर होता यदि सत्तारूढ़ पार्टी अपनी इस यात्रा को बाढ़ पीड़ित मदद यात्रा के रूप में निकालती, यही समय की जरूरत भी थी। मायावती ने कहा कि कोरोना काल के दौरान भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा में सरकार नियमों को कितना निभा पायेगी, यह अब देखने की बात है।
उन्होंने आरोप लगाया कि बसपा के नियम-कानून से चल रहे प्रबुद्ध वर्ग के कार्यक्रमों को प्रभावित करने का सरकारी प्रयास जारी है। मायावती ने कहा कि मंगलवार से उत्तर प्रदेश विधानसभा का सत्र भी शुरू हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपनी पार्टी के विधायकों से यह अनुरोध किया है कि वे विधानसभा के नियमों का पालन करते हुये प्रदेश में जनहित के मुद्दों को उठाएं व खासकर केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के विरोध करें।’’
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने ये कानून किसानों की सहमति के बिना ही बनाए हैं, जिसका बसपा शुरू से ही विरोध करती रही है तथा यह चाहती है कि केन्द्र सरकार इन कानूनों को वापस ले ले। उन्होंने कहा कि केन्द्र ने इन्हें अब तक वापस नहीं लिया है, लेकिन हमारी कोशिश होगी कि भाजपा सरकार इन्हें प्रदेश में लागू न कर पाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून का राज होने का दावा गलत है। कानून का राज तो वास्तव में केवल बसपा के राज में ही यहाँ रहा है।