Monday, December 23, 2024
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जेल में हालत बिगड़ने पर 15 लाख के बकाएदार किसान की करनी पड़ी रिहाई, हालत गंभीर

उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में शनिवार को जिला कारागार के अधिकारियों के हाथ-पांव उस समय फूल गए जब 14 दिन की न्यायिक अवधि के लिए जेल में निरुद्ध किए गए 15 लाख रुपए के बकाएदार किसान की हालत चौथे दिन ही बिगड़ गई।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : December 16, 2018 18:17 IST
Representative Image
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मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में शनिवार को जिला कारागार के अधिकारियों के हाथ-पांव उस समय फूल गए जब 14 दिन की न्यायिक अवधि के लिए जेल में निरुद्ध किए गए 15 लाख रुपए के बकाएदार किसान की हालत चौथे दिन ही बिगड़ गई। तब उसे समय से पूर्व ही रिहा करने का आदेश देना पड़ा। जेल अधिकारियों ने उसे पहले कारागार चिकित्सालय के चिकित्सक को दिखाया। हालात में सुधार न होने पर उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां भी डॉक्टरों ने गंभीर स्थिति देखते हुए उसे आगरा स्थित एसएन मेडिकल कॉलेज के लिये रैफर कर दिया।

जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने बताया, ‘‘इस बीच मांट तहसील के अधिकारियों को उक्त किसान के स्वास्थ्य संबंधी सभी जानकारी दे दी गई थी। परन्तु, वहां से तहसीलदार आदि कोई सक्षम अधिकारी नहीं पहुंचा तो दो सिपाहियों के साथ उसे आगरा रवाना कर दिया गया। जहां देर शाम तक उसकी हालत नाजुक बनी हुई थी।’’

उन्होंने बताया कि मांट क्षेत्र के थाना नौहझील भरतिया गांव निवासी 68 वर्षीय किसान नानक चंद पुत्र चेतराम पर लंबे समय से सरकारी कर्ज के 15 लाख रुपए लंबित चल रहे थे। जिसमें से उसने ब्याज तक जमा नहीं कराई तो उसके खिलाफ राजस्व नियमों के तहत कार्यवाही करते हुए उसे 12 दिसम्बर को पकड़ कर पहले हवालात में रखा गया और फिर पैसा न देने पर जेल भेज दिया गया। जहां उसकी तबीयत खराब हो गई।

तहसीलदार सुभाष यादव ने बताया, ‘‘जेल के अधिकारियों द्वारा नानक चंद की हालत बिगड़ने की सूचना मिलते ही उसे आनन-फानन में उसे रिहा कर दिया गया। उसकी रिहाई संबंधी कागजात तैयार कर आगरा भेज दिए गए हैं। जहां से उपचारोपरांत वह अपने परिजनों सहित घर जा सकता है।’’

यादव ने बताया कि बकाए की धनराशि अथवा उसका हिस्सा न जमा करने की स्थिति में बकाएदार को कम से कम 14 दिन की जेल काटनी पड़ती है। कर्जदार किसान की रिहाई 25 दिसंबर को होनी थी। उन्होंने कहा, ‘‘विपरीत परिस्थितियों में किसान की रिहाई का निर्णय लेना पड़ा। अन्यथा कोई भी अप्रिय घटना होने पर जिम्मेदारी राजस्व विभाग पर ही आ सकती थी।’’

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