नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में पांच हजार से ज़्यादा रसोई गैस सिलेंडर बरामद होने से हड़कंप मच गया है। यूपी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट उज्जवला योजना का ये अब तक का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है। सभी सिलेंडर भारत-नेपाल बॉर्डर की एक गैस एंजेसी के गोदाम के साथ ही झाड़ियों में छिपाकर रखे गए थे।
इस घोटाले का पता तब चला जब कुछ लोगों ने झाड़ियों में सिलेंडरों को देखा। इसके बाद प्रशासन को खबर दी गई। प्रशासन ने फौरन ही गैस एजेंसी को सील कर दिया और छिपाकर रखे गैस सिलेंडरों को इकट्ठा किया गया जो पांच हज़ार के करीब पाये गये हैं।
हैरानी की बात ये है कि गैस एंजेसी में इन सिलेंडरों को लेकर कोई भी रिकॉर्ड तक नहीं मिला है। कलेक्टर ने इस मामले में पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया है। दो दिन से इस बड़े घोटाले की जांच चल रही है।
2016 में उज्ज्वला योजना की शुरुआत हुई थी तब बलरामपुर में भारत-नेपाल सीमा पर मौजूद भार्गव इंडियन गैस एंजेसी से गैस देने के नाम पर ग्रामीणों से फॉर्म भरवाए गए थे। एजेंसी को जब गैस, सिलेंडर, चूल्हा और रेग्युलेटर भेज दिये गये तब एंजेसी ने उसे अपने कस्टमर्स तक पहुंचाने की बजाय इन्हें स्टोर करना शुरू कर दिया।
जांच के मुताबिक, बाद में एंजेसी ने गैस कनेक्शन के नाम पर अवैध वसूली की। इतना ही नहीं, 2011 की जनगणना के अनुसार जिन पात्रों का नाम सूची में था, उनसे 500 से लेकर 1500 की अवैध वसूली भी की गई। जब पात्रों के नाम से गैस कनेक्शन जारी हुआ तो उन्हें कनेक्शन देने के बजाए एजेंसी ने सभी भरे सिलेंडरों को डंप करके गैस की कालाबाजारी शुरू कर दी।
घोटाला सामने आते ही हरकत में आए जिला प्रशासन ने जिला पूर्ति अधिकारी समेत 6 सदस्यीय टीम बनाकर मामले की जांच करवाई तो पता चला कि इस गैस एजेंसी के पास करीब 9000 उज्जवला योजना के कनेक्शन हैं और 691 कनेक्शन नॉर्मल हैं। एजेंसी सीज करने के बाद अभी तक अलग-अलग जगह से छानबीन में करीब 4000 सिलेंडर खाली और 1000 भरे गैस सिलेंडर बरामद हुए हैं।