कासगंज (उत्तर प्रदेश): यूपी के कासगंज में अल्ताफ नामक युवक की पुलिस हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत मामले में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं। वहीं अबतक पांच पुलिसवाले सस्पेंड किए गए हैं। कोतवाल समेत 4 अन्य पुलिस को निलंबित किया गया है। बता दें कि, उत्तर प्रदेश के कासगंज में पुलिस हिरासत के दौरान 22 साल के अल्ताफ की मौत पर सियासी बवाल मचा हुआ है। इस बीच कासगंज में पुलिस हिरासत के दौरान अल्ताफ की मौत मामले में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आई है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में अल्ताफ के मौत की वजह फांसी बताई गई है।
वहीं एसपी कासगंज रोहन बोत्रे के मुताबिक, पुलिस हिरासत में युवक ने टायलेट में सुसाइड कर लिया। एएसपी को विभागीय जांच सौंपी गई है। वहीं एसडीएम पटियाली मजिस्ट्रेरियल जांच कर रिपोर्ट सौंपेंगे। पुलिस ने बताया कि पीड़ित डिप्रेशन में था और उसने आत्महत्या कर ली। समाजवादी पार्टी ने पुलिस पर मामले को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है और उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश से इसकी जांच कराने की मांग की है।
पिता ने यूपी पुलिस के खिलाफ आरोप वापस लिया
पुलिस हिरासत में कथित तौर पर खुदकुशी करने वाले अल्ताफ के पिता चांद मियां ने एक हस्तलिखित नोट में दावा किया है कि उनका बेटा अवसाद से पीड़ित था और वह पुलिस के खिलाफ मामला वापस ले रहे हैं। चांद मियां ने अब एक लिखित बयान दिया है कि वह मामले में आरोप वापस ले रहे हैं और 'भविष्य में इसे आगे नहीं बढ़ाएंगे।' दिलचस्प बात यह है कि चांद मियां के हस्तलिखित नोट में हस्ताक्षर के बजाय उनके अंगूठे का निशान है। चांद मियां ने संवाददाताओं से कहा था कि उन्होंने सोमवार रात को अपने बेटे को स्थानीय पुलिस को सौंप दिया था, जिन्होंने उसे बताया कि वे उससे दूसरे समुदाय की लड़की को भगाने के मामले में पूछताछ करना चाहते हैं। मियां ने कहा कि अल्ताफ को स्थानीय पुलिस स्टेशन से कोतवाली स्थानांतरित कर दिया गया और उन्हें उनके बेटे से मिलने नहीं दिया गया।
सपा ने उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश से उच्च स्तरीय जांच की मांग की
उत्तर प्रदेश के कासगंज थाने में हिरासत में रहते हुए 22 वर्षीय मुस्लिम युवक अल्ताफ की मौत एक बड़े विवाद में तब्दील हो गई है और समाजवादी पार्टी ने उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। पार्टी ने यह भी मांग की है कि युवक के परिवार को मुआवजा दिया जाए। गांव अहरोली में एक नाबालिग हिंदू लड़की को भगाने के मामले में आरोपी चांद मियां के बेटे अल्ताफ को पुलिस सोमवार की रात पूछताछ के लिए कासगंज कोतवाली ले गई थी। मंगलवार की रात पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई। अल्ताफ उक्त लड़की के घर में टाइल लगाने का काम कर रहा था, जहां से दोनों सोमवार को लापता हो गए थे। परिवार के सदस्यों ने अल्ताफ पर लड़की को भगाने के मामले में शामिल होने का आरोप लगाया और उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हाफिज गांधी ने उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश द्वारा उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और कहा, "क्या यह असामान्य नहीं है कि चांद मियां ने पुलिस के समर्थन में एक हाथ से लिखित घोषणा प्रस्तुत की है, लेकिन हस्ताक्षर के बजाय, अगूंठा के निशान हैं, जो साबित करता है कि वह साक्षर नहीं है? पूरी बात संदिग्ध है।"
जानिए कासगंज के पुलिस अधीक्षक रोशन प्रमोद बोत्रे ने क्या कहा?
कासगंज के पुलिस अधीक्षक रोशन प्रमोद बोत्रे ने कहा कि अल्ताफ शौचालय जाना चाहता था और उसे थाने में शौचालय की सुविधा का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। लेकिन जब वह बाहर नहीं आया तो पुलिस ने वॉशरूम खोला तो उसे मृत पाया। उसे जिला अस्पताल ले जाया गया जहां कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। अल्ताफ का शव पोस्टमार्टम के बाद परिवार वालों को सौंप दिया गया। पीड़िता के पिता ने शुरू में गड़बड़ी का आरोप लगाया लेकिन बाद में पीछे हट गए।
हमें रुपए नहीं बल्कि न्याय चाहिए- अल्ताफ की मां
अल्ताफ की मां शबनम का आरोप है कि पुलिस ने उसके बेटे की हत्या की है। अल्ताफ की मां का कहना है कि हमें रुपए नहीं बल्कि न्याय चाहिए। अल्ताफ घरों में टाइल्स लगाने का काम करता था, कभी पुलिस से वास्ता नहीं पड़ा है। जिस घर से लड़की गायब है, उसमें कई महीने पहले उसने टाइल्स लगाई थी। इसके बाद कभी उधर नहीं जाना हुआ। अचानक पुलिस उसे घर पूछताछ के लिए ले गई। अल्ताफ खुदकुशी नहीं कर सकता है, उसकी हत्या हुई है। अल्ताफ के पिता अनपढ़ हैं और उनसे बच्चे का शव देने के नाम पर अंगूठा लगवा लिया गया। वहीं आज मृतक के पिता चांद मिया ने कहा, "मुझे डॉक्टरों ने बताया कि आपके बच्चे ने फांसी लगाई है। मेरे सामने पुलिसकर्मी उसे इलाज के लिए लाए आखिर में वह नहीं बचा, मैं कार्रवाई से संतुष्ट हूं।" वहीं अल्ताफ की मौत पर उसके पिता का बयान एक बार फिर बदला है। पिता ने अब एक बार फिर से कहा है कि पुलिस हिरासत में बेटे ने आत्महत्या नहीं की है। उसकी मौत की जांच होनी चाहिए। (इनपुट- IANS)