लखनऊ: लखनऊ यूनिवर्सिटी कैंपस में बुधवार को असामाजिक तत्वों के हमले में दर्जन भर से अधिक शिक्षक घायल हो गये। हमलावर खुद को समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता बता रहे थे। घटना के बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी प्रशासन ने यूनिवर्सिटी को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है। कुलपति एस पी सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, ''दर्जन भर से अधिक शिक्षक घायल हुए हैं। मुझ पर भी हमला हो जाता लेकिन मेरे साहयोगियों ने मुझे बचा लिया। घटना को अंजाम देने वाले लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र नहीं थे बल्कि असामाजिक तत्व थे। वे खुद को समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता बता रहे थे। हमलावरों की संख्या 25 से 30 के बीच थी।''
उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। प्रवेश के लिए चल रही काउंसिलिंग को भी रोक दिया गया है। हम एफआईआर करने जा रहे हैं। यूनिवर्सिटी अब कब खुलेगा, इस सवाल पर कुलपति ने कहा कि अगले आदेश तक यह बंद रहेगा। घायलों में प्राक्टर विनोद सिंह, चीफ प्रोवोस्ट संगीता रानी और कुछ अन्य शिक्षक हैं। यूनिवर्सिटी के कुछ सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए हैं। पुलिस अधीक्षक (ट्रांस गोमती) हरेन्द्र कुमार ने बताया कि तीन लोगों को इस सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। हम यूनिवर्सिटी प्रशासन की तहरीर का इंतजार कर रहे हैं।
कुलपति ने बताया कि परिसर में दो तीन दिनों से आंदोलन चल रहा था। यह आंदोलन प्रवेश से जुडी मांगों को लेकर था। आशंका है कि कुछ प्रदर्शनकारी भी शिक्षकों पर हुए हमले में शामिल थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काफिले को पिछले साल जून में काला झंडा दिखाने वाले 20 से अधिक छात्रों का आरोप है कि उन्हें यूनिवर्सिटी के स्नातकोत्तर पाठयक्रमों में दाखिला नहीं दिया जा रहा है। इसके विरोध में वे सोमवार से धरने पर हैं। योगी के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल अधिकांश छात्र वामपंथी आल इंडिया स्टूडेंटस एसोसिएशन :आइसा: और सपा की छात्र इकाई के थे।
इस मामले पर कुलपति ने कहा कि यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए तय प्रक्रियाएं हैं। नियम विरूद्ध प्रवेश नहीं दिया जा सकता। इस बीच हिंसा को लेकर एलयू शिक्षक एसोसिएशन ने कल आपात बैठक बुलायी है जिसमें भावी रणनीति तय की जाएगी।