इलाहाबाद का प्राचीन नाम प्रयाग है। इसे तीर्थों का राजा भी कहते हैं। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का कार्य पूरा होने के बाद पहला स्नान यहीं किया था। यह स्थान महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन और नासिक हैं। यह गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है। यहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है।
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यह क्षेत्र पूरब से मौर्य एवं गुप्त साम्राज्य के अंश एवं पश्चिम से कुशान साम्राज्य का अंश रहा है। बाद में ये कन्नौज साम्राज्य में आया। 1526 में इलाहाबाद मुगलों के अधीन आया। अकबर ने यहां संगम के घाट पर एक वृहत दुर्ग निर्माण करवाया था।
शहर पर मराठों के आक्रमण भी होते रहे थे। इसके बाद अंग्रेजों के अधिकार में आ गया। 1765 में इलाहाबाद के किले में थल-सेना के गैरीसन दुर्ग की स्थापना की थी। 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इलाहाबाद भी सक्रिय रहा। भारत के स्वतत्रता आन्दोलन में भी इलाहाबाद की एक अहम् भूमिका रही।