लखनऊ| बहुजन समाज पार्टी(बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकारों ने दलितों और गरीबों की उपेक्षा की। इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की है। मायावती ने मंगलवार को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकारों द्वारा दलितों और गरीबों की उपेक्षा की गई। सरकारों ने इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की। इस वजह से इस तबके के लोगों ने अपने-अपने घरों के लिए पलायन करना उचित समझा। इसके बाद सरकारों ने उन्हें ट्रकों और बसों से शेल्टर होम पहुंचाया।
उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से दलितों और गरीबों की स्थिति दयनीय हो गई है। मायावती ने केंद्र सरकार से अपील की कि लॉकडाउन के दौरान मजदूरों का ख्याल केंद्र सरकार रखे। बसपा मुखिया ने कहा कि अगर इन वर्गों की सरकार सत्ता में नहीं होगी तो इनकी दुर्दशा ऐसे ही बनी रहेगी। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला। जहां आम आदमी पार्टी ने इन्हें प्रलोभन देकर वोट तो लिया, लेकिन लॉकडाउन के दौरान पलायन करने से भी नहीं रोका, बल्कि बसों से बॉर्डर तक छोड़ आए।
मायावती ने कहा, "आज भी जातिवादी मानसिकता पूरी तरह से नहीं बदली है। आज यह बात मुझे बड़े दुख के साथ इसलिए भी कहनी पड़ रही है, क्योंकि जैसे ही कोरोना वायरस महामारी अपने देश में फैली और केंद्र सरकार ने इसे फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की। उसके बाद दिल्ली समेत यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों में रोजी-रोटी कमाने के लिए गए लोगों ने अपने मालिकों व राज्य सरकारों की उपेक्षा देखी। मजबूरी में यह लोग अपने घरों के लिए पलायन करने लगे।"
बसपा मुखिया ने कहा, "पलायन करने वालों में 90 फीसदी दलित और अति पिछड़े थे। डॉ. बीआर अंबेडकर ने अपना सारा जीवन ये सुनिश्चित करने में बिताया कि दलित, आदिवासियों और अन्य हाशिए के समुदाय स्वाभिमान के साथ रहते हैं। सरकार को गरीबों, मजदूरों, किसानों और अन्य मजदूर वर्ग के हितों को ध्यान में रखना चाहिए और तालाबंदी के दौरान उन्हें मदद प्रदान करनी चाहिए।"
उन्होंने कहा, "बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने भारतीय संविधान के लागू होने के बाद अपने इन वर्गो के लोगों को स्पष्ट तौर पर कहा था कि वह काफी कड़े संघर्ष व अथक प्रयासों से अपने इन वर्गो के लोगों को जिंदगी के हर पहलु में आगे बढ़ने व अपने पैरों पर खड़े होने के लिए संविधान में कानूनी अधिकार तो दिला दिए हैं, जिसमें वोट देने का खास अधिकार शामिल है।"