प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सोमवार को मौनी अमावस्या के खास दिन कुंभ में दूसरा शाही स्नान किया जा रहा है। माघ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या मौनी अमावस्या कही जाती है। इस दिन का और इस दिन कुंभ स्नान का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। दूसरे शाही स्नान को देखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने काफी तैयारियां की हैं। पहले शाही स्नान पर श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए दूसरे शाही स्नान पर घाटों की संख्या में भी इजाफा किया गया है।
आपको बता दें कि पहला शाही स्नान मकर संक्रांति पर संपन्न हुआ था। प्रयागराज कुंभ के दूसरे प्रमुख शाही स्नान, मौनी अमावस्या के लिए एक-दो पहले से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। एक अनुमान के मुताबिक, मौनी अमावस्या के मौके पर प्रयागराज में 3 करोड़ से भी ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। इस भारी भीड़ को देखते हुए दूसरे शाही स्नान में करीब 40 घाटों पर स्नान की व्यवस्था की गई है। संगम नोज पर स्नान के लिए करीब 6 किलोमीटर का घाट तैयार कराया गया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुंभ में सारे अखाड़े इस खास दिन ब्रह्म मुहूर्त से ही शाही स्नान करने के लिए पहुंचने लगे हैं। शाही स्नान का समय सुबह 6:15 से शाम 4:20 तक है। दूसरे शाही स्नान में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था और चाक-चौबंद कर दी गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यातायात व्यवस्था बेहतर करने के साथ ही मेला क्षेत्र में 58 फायर स्टेशन व 96 वॉच टावर भी बनाए गए हैं। सोमवार के दिन अमावस्या पड़ने की वजह से आज के दिन का महत्व कई गुना बढ़ गया है। कई वर्षों बाद यह अद्भुत संयोग पड़ रहा है जब सोमवती और मौनी अमावस्या एक ही दिन पड़ रही हैं।
अखाड़ों के शाही स्नान का समय:
- महानिर्वाणी/अटल अखाड़ा- सुबह 6:15 से 6:55 तक
- निरंजनी/आनंद अखाड़ा- सुबह 7:05 से 7:45 तक
- जूना/आवाहन/अग्नि अखाड़ा- सुबह 8 बजे से 8:40 तक
- निर्वाणी अखाड़ा- सुबह10:40 से 11:10 तक
- दिगंबर अखाड़ा- सुबह 11:20 से दोपहर 12:10 तक
- निर्मोही अखाड़ा- दोपहर 12:20 से 12:50 तक
- नया उदासीन अखाड़ा- दोपहर 1:15 से 2:10 तक
- बड़ा उदासीन अखाड़ा- दोपहर 2:20 से 3:20 तक
- निर्मला अखाड़ा- दोपहर 3:40 से 4:20 तक
शाही स्नान की शुरुआत 14वीं सदी में हुई थी। इस स्नान के लिए साधु-संत पालकी, हाथी-घोड़े पर बैठकर आते हैं। सारे अखाड़े अपनी-अपनी शक्ति और वैभव का प्रदर्शन करते हैं। शाही स्नान को राजयोग स्नान भी कहा जाता है। साधु-अनुयायी पवित्र नदी में तय वक्त पर स्नान करते हैं। शाही स्नान के बाद ही आम लोगों को स्नान करने की इजाजत होती है।