बनारस (उप्र): बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का निर्माण कार्य जोरों पर है। बता दें कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस कॉरिडोर परियोजना की नींव साल 2009 में तत्कालीन प्रदेश सरकार के कार्यकाल में रखी गई थी लेकिन स्थानीय विरोध के चलते इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। साल 2018 के शुरू होते-होते मौजूदा प्रदेश सरकार ने इस परियोजना को फिर से ज़िंदा किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ धाम की मणिमाला के मंदिरों का ऐतिहासिक दस्तावेज देश और दुनिया के सामने होगा। श्री काशी विश्वनाथ धाम में मिले प्राचीन मंदिरों का इतिहास के दस्तावेजों को तैयार करने के लिए एएसआई भोपाल की टेंपल सर्वे की तीन सदस्यीय टीम ने अपना काम शुरू किया है। परियोजना में मिले प्राचीन मंदिरों का इतिहास, उनकी प्राचीनता, उनकी विशेषता के अलावा मंदिरों के निर्माता की जानकारियां जुटाई जा रही हैं। काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के लिए खरीदे गए तीन सौ भवनों में 60 से अधिक छोटे बड़े मंदिर मिले हैं। इनमें से लगभग एक दर्जन मंदिरों की वास्तु कला बहुत ही अद्भुत है। पत्थरों को तराश कर इतनी शानदार नक्काशी उकेरी गई है, जो अपने आप में अद्भुत है। इसमें तीस मंदिर ऐसे हैं, जिनका जिक्र तो स्कंद पुराण के काशी खंड में मिलता है।
श्री काशी विश्वनाथ धाम में मिले मंदिरों का जीर्णोद्धार और संरक्षण की पहल की जा रही है। संरक्षण के कार्य में काशी हिंदू विश्वविद्यालय और संस्कृति मंत्रालय की टीम को जिम्मेदारी दी गई है। बाबा दरबार परिसर से ललिता एवं मणिकर्णिका घाट तक बनने वाला काशी विश्वनाथ धाम वास्तविक रूप से धर्म नगरी का अहसास कराएगा। वहीं दूसरी तरफ यहां आनंद कानन और रुद्र वन की परिकल्पना साकार होगी। रुद्र वन में रुद्राक्ष के 350 से ज्यादा पौधे लगाए जाएंगे।
पांच लाख वर्ग फीट के कॉरिडोर एरिया में सिर्फ 30 फीसदी क्षेत्र में निर्माण होगा। कल्चरल सेंटर, वैदिक केंद्र, टूरिस्ट फेसिलिटेशन सेंटर, सिटी म्यूजियम, जप-तप भवन, भोगशाला, मोक्ष भवन और दर्शनार्थी सुविधा केंद्र अधिकतम दो मंजिला ही होंगे और ऊंचाई विश्वनाथ मंदिर के शिखर से ऊपर नहीं होगी। सुरक्षा एयरपोर्ट जैसी होगी।