नई दिल्ली: कैराना लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को लेकर जमीयत उलेमा ए हिन्द के मौलाना के बयान से विवाद खड़ा हो गया है। मौलाना ने मुसलमानों से बीजेपी उम्मीदवारों को हराने की अपील की है। मौलाना के मुताबिक बीजेपी सरकार से पूरा देश परेशान है। कैराना सीट पर चुनाव प्रचार आज शाम खत्म हो रहा है और सोमवार वोटिंग होगी। जमीयत उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मौलाना हसीब सिद्दीकी ने कहा, “मोदी सरकार से पूरा हिंदुस्तान और पूरी सियासी जमाते परेशान और दुखी हैं। ऐसा ना हो कि कम वोट पड़ने की वजह से बीजेपी को फिर खड़े होने का मौका मिल जाए। मुसलमानों को चाहिए की ज्यादा से ज्यादा वोट करें और देश को आगे ले जाने में मदद करें।”
मौलाना का ये वही बयान है जिससे पूरा विवाद शुरू हुआ है। कैराना लोकसभा उपचुनाव के लिए 28 मई को वोटिंग होनी है। चुनाव प्रचार आज शाम खत्म हो जाएगा लेकिन चुनाव प्रचार खत्म होने से एक दिन पहले मौलाना की इस अपील से मामला गर्मा गया है। कैराना लोकसभा सीट वैसे भी संवेदनशील मानी जाती है। हिंदुओं के पलायन के मुद्दे को लेकर भी ये इलाका सुर्खियों में रहा है। ज़ाहिर है धार्मिक आधार पर यहां पहले भी ध्रुवीकरण होता रहा है लेकिन अब मौलाना हसीब सिद्दीकी के इस बयान ने आग में घी का काम किया है।
कैराना लोकसभा सीट पर उपचुनाव बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन की वजह से हो रहा है। इस सीट पर बीजेपी ने उनकी बेटी मृगांका सिंह को टिकट दिया है जबकि संयुक्त विपक्ष ने तबस्सुम हसन को उम्मीदवार बनाया है। मौलाना हसीब सिद्दीकी अपने बयान में हुकुम सिंह की तो तारीफ करते हैं लेकिन उनका कहना है कि हुकुम सिंह की बेटी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही है ऐसे में उन्हें हराना ज़रूरी है।
मौलाना हसीब के इस बयान पर अब विवाद खड़ा हो गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कैराना से लगी मुज़फ्फरनगर लोकसभा सीट से सांसद संजीव बालियान का मानना है कि इस तरह की अपील से कोई फर्क नहीं पड़ता जबकि यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के मुताबिक विपक्षी पार्टियां साम्प्रदायिकता के सहारे चुनाव जीतना चाहते हैं। बीजेपी को हराने की मौलाना हसीब सिद्धीकी की अपील कई मुस्लिम संगठनों को भी रास नहीं आ रही। इनका कहना है कि इस तरह की अपील से हिंदू वोटर बीजेपी के पक्ष में लामबंद होगा।
मुस्लिम संगठन भले ही कुछ भी कहे लेकिन सच ये है कि तीर अब कमान से निकल चुका है। मौलाना की अपील के बाद साम्प्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण की पूरी संभावना नज़र आ रही है लेकिन ये ध्रुवीकरण किसके पक्ष में होगा इसके लिए इकतीस मई को आने वाले नतीजों का इंतज़ार करना होगा।