Highlights
- 3500 हेक्टेयर जमीन पर बनने जा रहे इस पूरे प्रॉजेक्ट का पहला चरण 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है।
- नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा IGI एयरपोर्ट से लगभग 72 किलोमीटर की दूरी पर है।
- इस एयरपोर्ट को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर विकसित किया जाएगा।
नोएडा: उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को दावा किया कि राज्य में अब पांचवा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने जा रहा है। लखनऊ में जारी एक बयान में यूपी सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि 25 नवंबर को निर्धारित नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के शिलान्यास के साथ, राज्य अब पांच अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे बनाने की राह पर है। कुल 3500 हेक्टेयर जमीन पर बनने जा रहे इस पूरे प्रॉजेक्ट का पहला चरण 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है।
3500 हेक्टेयर जमीन पर पूरा होना है प्रॉजेक्ट
जेवर एयरपोर्ट प्रॉजेक्ट कुल 3500 हेक्टेयर जमीन पर पूरा होना है, लेकिन पहले चरण में सिर्फ 1327 हेक्टेयर पर ही काम होगा। नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा IGI एयरपोर्ट से लगभग 72 किलोमीटर की दूरी पर है। वहीं, नोएडा, फरीदाबाद और गाजियाबाद से इसकी दूरी 40 किलोमीटर है। ग्रेटर नोएडा से यह एयरपोर्ट 28 किमी, गुरुग्राम से 65 किमी और आगरा से 130 किमी की दूरी पर है। नोएडा और दिल्ली को निर्बाध मेट्रो सेवा के जरिये जोड़ा जायेगा जिससे यात्रियों को आवागमन में काफी सुविधा होगी।
पूरे प्रॉजेक्ट की लागत 15000-20000 करोड़ रुपये
आसपास के सभी प्रमुख मार्ग और राजमार्ग, जैसे यमुना एक्सप्रेस-वे, वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे, ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे, दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे तथा अन्य भी हवाई अड्डे से जोड़े जायेंगे। हवाई अड्डे को प्रस्तावित दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल से भी जोड़ने की योजना है, जिसके कारण दिल्ली और हवाई अड्डे के बीच का सफर मात्र 21 मिनट का हो जायेगा। इस एयरपोर्ट को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर विकसित किया जाएगा। इस पूरे प्रॉजेक्ट की लागत 15000-20000 करोड़ रुपये है और पहले फेज में इसपर करीब 10,050 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
नोएडा एयरपोर्ट में 2 पैसेंजर टर्मिनल होंगे
एयरपोर्ट में 2 पैसेंजर टर्मिनल होंगे। टर्मिनल 1 की क्षमता 3 करोड़ यात्री प्रतिवर्ष और टर्मिनल 2 की क्षमता 4 करोड़ यात्री प्रतिवर्ष की होगी। टर्मिनल 1 को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में 1.2 करोड़ यात्री क्षमता और दूसरे चरण में 1.8 करोड़ यात्री क्षमता विकसित की जाएगी। पहला फेज 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है। वहीं, दूसरे फेज को भी इसी तरह 2 चरणों में पूरा किया जाएगा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में यह दूसरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा और इससे इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर दबाव को कम करने में मदद मिलेगी।
शून्य उत्सर्जन वाला देश का पहला एयरपोर्ट
एयरपोर्ट की डिजाइन बनाने में इस बात का ध्यान रखा गया है कि परिचालन खर्च कम हो तथा निर्बाध और तेजी से यात्रियों का आवागमन हो सके। एयरपोर्ट में टर्मिनल के नजदीक ही हवाई जहाजों को खड़ा करने की सुविधा होगी, ताकि उसी स्थान से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के परिचालन में वायुसेवाओं को आसानी हो। इसके कारण एयरपोर्ट पर हवाई जहाज जल्दी से काम पर लग जायेंगे तथा यात्रियों के आवागमन भी निर्बाध और तेजी से संभव होगा। यह भारत का पहला ऐसा एयरपोर्ट होगा, जहां उत्सर्जन शुद्ध रूप से शून्य होगा।