लखनऊ. कोविड-19 को लेकर सुर्खियों में रहे जमात के जिन लोगों पर उत्तर प्रदेश में कार्रवाई की गयी थी, उनमें से लगभग सभी को छोड़ दिया गया है लेकिन जिनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं, वे अदालत के निर्देश पर ही रिहा किए जाएंगे। अपर मुख्य सचिव (गृह एवं सूचना) अवनीश कुमार अवस्थी ने सोमवार को कहा, ''जो भी हमारे यहां पूर्व में जमात के लोगों पर कार्रवाई की गयी थी, लगभग सबको छोड़ दिया गया है।''
उन्होंने बताया कि केवल जिनके खिलाफ मुकदमे दर्ज थे, वे अदालत के निर्देश पर ही छूटेंगे। उन्होंने कहा कि विदेशी नागरिकों पर मुकदमा जब तक खत्म नहीं हो जाता, तब तक कार्रवाई जारी रहेगी। सरकार ने यह निर्देश दिया है कि जो मुकदमे हैं, उन पर फौरन कार्रवाई की जाए। अवस्थी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के कोविड-19 प्रबंधन की देश में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तारीफ की गयी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में इस समय 1932 हॉटस्पाट हैं, जो 758 थानाक्षेत्रों में हैं। कुल 9, 82, 474 मकानों में 55, 93, 656 आबादी चिन्हित की गयी है और इनमें 4158 लोग संक्रमित हैं। इन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। संस्थागत पृथक-वास (अस्पताल में अलग कमरे में) में 9622 लोग को रखा गया है।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने के मामलों में धारा—188 के तहत 63, 268 प्राथमिकियां दर्ज की गयीं और 1, 74, 061 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गयी। कुल 59, 53, 717 वाहनों की जांच की गई और 52, 661 वाहन सीज किये गये। जुर्माने के रूप में 26 करोड 73 लाख 64 हजार रूपये की राशि वसूली गयी। जमाखोरी और कालाबाजारी के मामलों में 689 प्राथमिकियां दर्ज की गयीं और 317 लोग गिरफ्तार किये गये।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक 1633 से अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनें आ चुकी हैं और केवल ट्रेनों के माध्यम से 22 लाख 14 हजार से अधिक प्रवासी श्रमिक एवं कामगार वापस अपने गृह प्रदेश आये हैं। एम्स और पीजीआई-चंडीगढ की परीक्षाओं को लेकर अवस्थी ने बताया कि गृह विभाग को निर्देश दिया गया है कि वह जनपदों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों से कहे कि इन संस्थाओं के नोडल अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर शीघ्र होने वाली परीक्षाओं में उचित व्यवस्था करा दी जाए।