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अलीगढ़ के लिए गुड न्यूज! जाट राजा महेद्र प्रताप सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी का शिलान्यास करेंगे PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर को अलीगढ़ में जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी का शिलान्यास करेंगे।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : September 07, 2021 13:41 IST
Jaat Raja Mahendra Pratap Singh State University PM Narendra Modi founding stone 14 September अलीगढ़
Image Source : PTI अलीगढ़ के लिए गुड न्यूज! जाट राजा महेद्र प्रताप सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी का शिलान्यास करेंगे PM

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाली 14 सितंबर को अलीगढ़ को एक बड़ी सौगात देने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर को अलीगढ़ में जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी का शिलान्यास करेंगे। आपको बता दें कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने साल 1915 में अफगानिस्तान में भारत की अंतरिम सरकार बनाई थी। उन्होंने साल 1930 में महात्मा गांधी को पत्र लिख कहा था कि जिन्ना जहरीला सांप हैं, गले मत लगाइए।

कौन थे राजा महेंद्र प्रताप सिंह

राजा महेद्र प्रताप सिंह का जन्म एक दिसम्बर, 1886 को मुरसान के जाट राजवंश में हुआ था। उनका लालन-पालन और शुरुआती शिक्षा वृंदावन में हुई थी। इसके बाद उन्होंने अलीगढ़ के मोहम्मडन एंग्लो ओरियंटल कॉलेज जिसे अब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के नाम से जाना जाता है, से प्रथम श्रेणी में एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की। हालांकि देश के प्रति कुछ गजरने का जज्बा उनमें कूट-काटूकर भरा हुआ था। 

देश भ्रमण के दौरान देशवासियों की दुर्दशा और शासन के अत्याचार को देखकर इन्होंने आंदोलन का झंडा बुलंद किया। 31 साल तक वे जर्मनी, स्विटजरलैंड, अफगानिस्तान, तुर्की, यूरोप, अमरीका, चीन, जापान, रूस आदि देशों में घूमते रहे और भारत की आजादी की अलख जगाने का काम किया। वे अंग्रेजों की नजरों में चुभने लगे। अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें राजद्रोही घोषित कर उनकी सम्पत्ति जब्त कर ली। दिसम्बर 1915 में उन्होंने काबुल में अपनी अध्यक्षता में भारत की अस्थायी सरकार बनाई।

1925 में उन्होंने न्यूयार्क में नीग्रो की स्वतंत्रता के समर्थन में जोरदार भाषण दिया था। सितम्बर 1938 को उन्होंने एक सैनिक बोर्ड का गठन किया। इस बोर्ड में वे अध्यक्ष, रासबिहारी बोस उपाध्यक्ष और आनंद मोहन सहाय महामंत्री थे। सेकेंड वर्ल्ड वॉर में उन्हें बंदी बना लिया गया पर कुछ नेताओं की कोशिश से वे मुक्त हो गए। 

अगस्त 1945 में वह भारत लौटे। उन्होंने 1957 के लोकसभा चुनाव में आजादी के बाद 1957 में मथुरा से अटल बिहारी वाजपेयी को हराकर वे  लोकसभा के निर्दलीय सदस्य बने। वे 'भारतीय स्वाधीनता सेनानी संघ' तथा 'अखिल भारतीय जाट महासभा' के भी अध्यक्ष रहे। 29 अपै्रल, 1979 को उनका देहांत हुआ। केंद्र सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया था। 

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