नई दिल्ली: डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है क्योंकि वो लोगों की जिंदगी बचाता है लेकिन अगर वही डॉक्टर दौलत के लालच में अपने पेशे से धोखा करने लगे तो आप क्या कहेंगे। आज हम आपके सामने ऐसे ही डॉक्टर्स का चेहरा बेनकाब करेंगे जो रुपए के लिए हर नियम कानून को ताक रख देते हैं। जिनके लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का अल्टिमेटम भी कोई मायने नहीं रखता..क्योंकि उनके लिए सबसे बड़ी चीज है पैसा।
इंडिया टीवी के कैमरे में उत्तर प्रदेश के कई ऐसे सरकारी डॉक्टर्स के चेहरे कैद हुए हैं जो सरकार से पगार लेते हैं। गरीबों का इलाज करने का बॉण्ड भरते हैं। प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करने की शपथ लेते हैं। लेकिन वही डॉक्टर्स दिनदहाड़े खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं।सरकार को ठेंगा दिखाते हैं और खुद का हॉस्पिटल चला रहे हैं। इलाज और टेस्ट के नाम पर मोटी रकम कमा रहे हैं।
इंडिया टीवी की स्पेशल इन्वेस्टिंगेटिव टीम को ख़बर मिली थी कि बुंदेलखंड के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज में यानी महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के कई बड़े और नामचीन डॉक्टर्स सरकार को बेखौफ होकर धोखा दे रहे हैं। बेहतर इलाज की उम्मीद में यहां आने वाले मरीजों के साथ बेईमानी कर रहे हैं। क्योंकि वो मेडिकल कॉलेज के सामने ही प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। अपना हॉस्पिटल चलाते हैं। लिहाजा नोएडा से इंडिया टीवी की एक टीम झांसी की तरफ रवाना हुई।
झांसी पहुंचकर छानबीन के बाद हमारे सामने एक नाम आया कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर रजत जैन का जिनके बारे में मालूम हुआ कि ये झांसी मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। यानी सरकारी डॉक्टर हैं लेकिन खुलेआम प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। हक़ीक़त क्या है..ये पता लगाने के लिए हमारी टीम अपने खुफिया कैमरे के साथ महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के अंदर दाखिल हुई।अंदर पहुंचते ही हमने सबसे पहले अस्पताल में लगे बोर्ड पर डॉक्टर रजन जैन का नाम तलाशा तो वहां दर्ज मिला। जिस दिन हम पहुंचे थे इत्तेफाक से उसी दिन डॉक्टर रजत जैन ओपीडी में मरीजो को देख रहे थे..और वहां की तस्वीरें हमारे खुफिया कैमरे में कैद हो गई।
ये साफ हो चुका था कि डॉ. रजत जैन सरकारी डॉक्टर हैं लेकिन अब ये देखना था कि क्या वो प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। यह जानने के लिए हमारी टीम मेडिकल कॉलेज से चंद मीटर की दूरी पर मौजूद कैलाश हॉस्पिटल में पहुंची। हमारे रिपोर्टर..एक सहयोगी को मरीज बनाकर इलाज के लिए पहुंचे..काउंटर पर बैठे शख्स से हमने डॉक्टर रजत जैन को दिखाने के लिए कहा। करीब 10 मिनट बाद हमारा नंबर आया। जब हम केबिन के अंदर पहुंचे..तो हम हैरान थे। सामने डॉक्टर रजत जैन मौजूद थे।
एक बार फिर हमारी टीम झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में थी। हमारी मंजिल थी ऑर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट की ओपीडी में जहां मंगलवार और गुरुवार को डॉक्टर पारस गुप्ता मरीजों को देखते हैं। स्थानीय लोगों से बातचीत के दौरान हमें पता चला था कि डॉ. पारस भी सरकारी नौकरी करते हुए निजी प्रैक्टिस करते हैं। हमें पता चला कि डॉ.पारस गुप्ता ऑर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट में लेक्चरर हैं और दो दिन ओपीडी में मरीजों को देखते हैं।
हम डिपार्टमेंट से बाहर निकले तो सरकारी बोर्ड पर डॉ पारस गुप्ता का नाम और ओहदा भी लिखा मिल गया। हमें जिस निजी अस्पताल में डॉक्टर पारस गुप्ता के बैठने की जानकारी मिली थी। वो मेडिकल कॉलेज से कुछ मीटर के फासले पर ही था। नाम है शीला जैन हॉस्पिटल। मेडिकल कॉलेज से निकलकर चंद मिनटों में हमारी टीम खुफिया कैमरे के साथ यहां पहुंच गई। अंदर पहुंचकर हमारी टीम के एक सदस्य ने मरीज बनकर डॉ. पारस गुप्ता से इलाज के लिए रिसेप्शन पर नंबर लगवाया।250 बतौर फीस करवाने के कुछ ही देर बाद हमारा नंबर आ गया। अंदर डॉक्टर पारस गुप्ता मौजूद थे। इससे साफ हो गया कि डॉ. पारस भी सरकारी नौकरी करते हुए निजी प्रैक्टिस करते हैं।
ऐसे ही और डॉक्टर हैं जो सरकार से लाखों की तनख्वाह लेते हैं लेकिन खुफिया कैमरे में निजी प्रैक्टिस करते कैद हुए
डॉ. दिनेश शुक्ला
लेक्चरर, न्यूरो डिपार्टमेंट
मेडिकल कॉलेज, झांसी
डॉ. अरविंद कनकने
न्यूरोलॉजिस्ट, मेडिकल कॉलेज, झांसी
डॉ. जे पी पुरोहित
प्रोफेसर, मेडिकल कॉलेज, झांसी
डॉ. दिनेश राजपूत
लेक्चरर, न्यूरो डिपार्टमेंट
मेडिकल कॉलेज, झांसी
ठप्पा मारें पर्दाफाश
डॉ. पकंज सोलंकिया,
इंडोस्पोकी जनरल सर्जन
मेडिकल कॉलेज, झांसी
ठप्पा मारें पर्दाफाश
डॉ. आर एस भदौरिया
ऑर्थोसर्जन
जिला अस्पताल, झांसी