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आईआईटी का कमाल, शुद्ध पानी देगा वायरस और वैक्टीरिया से मुक्ति

आईआईटी के डा. संदीप पाटिल ने बताया कि इसमें केमिकल रहित पानी का इस्तेमाल किया गया है। इसमें 35 लीटर पानी का प्रयोग किया गया है। उन्होंने बताया कि जितने भी डिसइंफेक्शन मशीन है।

Reported by: IANS
Published on: August 25, 2021 16:44 IST
IIT Kanpur students devlop pathogard machine, confluence of water and electricity will give freedom - India TV Hindi
Image Source : PTI अगर कोई आपसे कहे कि सिर्फ शुद्ध पानी ही हानिकारक बैक्टीरिया व कीटाणु से मुक्ति दिला देगा तो आप विश्वास नहीं करेंगे।

कानपुर: अगर कोई आपसे कहे कि अब सैनिटाइजेशन लिए किसी केमिकल की जरूरत नहीं और सिर्फ शुद्ध पानी ही हानिकारक बैक्टीरिया व कीटाणु से मुक्ति दिला देगा तो आप विश्वास नहीं करेंगे। लेकिन यह कमाल कर दिखाया है आईआईटी-कानपुर के कुछ पूर्व छात्रों ने। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के पूर्व पीएचडी छात्र डा. संदीप पाटिल ने अपने दो मित्रों के साथ मिलकर इलेक्ट्रानिक सर्किट और शुद्ध पानी से डिसइंफेक्टेंट (कीटाणु नष्ट करने वाली) तैयार करने वाली पैथोगार्ड मशीन बनाई है। जो कि सिर्फ शुद्ध पानी से ही बैक्टीरिया और वायरस से मुक्ति दिलाएगा।

आईआईटी के स्टार्टअप इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर के अर्न्तगत ई स्पिन नैनोटेक के सीईओ डा. संदीप पाटिल, विशाल पाटिल व नैनोटेक डायरेक्टर के नितिन चराटे ने मिलकर साल भर शोध के बाद पैथोगार्ड मशीन बनाई। डा. संदीप पाटिल ने बताया कि कोरोना संकट के दौरान एक बात देखने को मिली, लोगों ने टनल मशीन लगाकर उसमें कई प्रकार केमिकल डालकर अपने को वायरस से निजात दिलाने का काम कर रहे थे। लेकिन इस दौरान उसमें उपयोग होने वाले रसायन व्यक्ति की आंख, त्वचा, पेट और गले के लिए नुकसानदायक साबित होने लगे थे। कई जगह इसके दुष्प्रभाव भी देखने को मिल रहे थे। 

उन्होंने बताया कि सरकार ने फुल बॉडी सैनिटाइजिंग मशीन में इस रसायन के उपयोग पर रोक लगा दी थी। उसके बाद से हम इस पैथोगार्ड के शोध पर लगातार काम कर रहे थे। सफलता मिली। विशाल ने बताया कि इस डिसइंफेक्टेंट को इलेक्ट्रानिक सर्किट से बनाया है। इस प्रक्रिया में शुद्ध पानी का इस्तेमाल किया गया है। एक निश्चित वोल्टेज के बीच पानी की इलेक्ट्रानिक सर्किट से क्रिया कराकर स्प्रे फार्म में इकट्ठा कर लिया जाता है। यह एक्टिवेटेड वाटर बन जाता है, जो बैक्टीरिया व वायरस को खत्म करने में सक्षम है।

उन्होंने बताया कि यह 230 वोल्ट पर चलता है, पीने का शुद्ध पानी है। कम्प्रेसर के जरिए आधा घंटे में एक्टिव हो जाता है। इसके सामने आने पर इससे निकलने वाले स्प्रे से वायरस और वैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। सेंसर आधारित मशीन के पास हाथ ले जाते ही डिसइंफेक्टेंट का छिड़काव हो जाएगा। यह आटो और मैनुअल दोंनों मोड पर चलता है। पांच दस सेकेण्ड में आपको सैनिटाइज कर देगा।

आईआईटी के डा. संदीप पाटिल ने बताया कि इसमें केमिकल रहित पानी का इस्तेमाल किया गया है। इसमें 35 लीटर पानी का प्रयोग किया गया है। उन्होंने बताया कि जितने भी डिसइंफेक्शन मशीन है। उसके दुष्प्रभाव बहुत देखने को मिले है। उसकी कोई रिपोर्ट नहीं कितने प्रतिशत वैक्टीरिया को नष्ट करता है। यह भी नहीं पता चलता है। एक्टिवेटेड वाटर बनते ही वायरस मर जाता है।

डा. संदीप पाटिल व सहयोगियों का दावा है कि यह 99.9 प्रतिशत वायरस व बैक्टीरिया नष्ट करने के साथ त्वचा पर दुष्प्रभाव भी नहीं छोड़ेगा। कोरोना काल में शोध के बाद तैयार इस मशीन को बाम्बे टेक्सटाइल रिसर्च इंस्टीट्यूट प्रयोगशाला में इसे टेस्ट किया गया है। जिसने इसे सराहा है। अब इसे पेटेंट के लिए भेजा गया है।

उन्होंने बताया कि इस मशीन को सरकारी व निजी आफिस के अलावा माल व बड़ी दुकानों में लगाया जा सकता है। इसके लिए कई आर्डर मिल चुके हैं। बताया कि यूपी में भी सार्वजनिक स्थानों पर स्प्रे यूनिट लगाने की योजना है।

बलरामपुर अस्पताल के वरिष्ठ चर्म रोग विषेषज्ञ डा. एमएच उस्मानी ने बताया कि कोरोना संकट के दौरान लोगों ने टनल मशीनों में पड़ने वाले केमिकल का बहुत ज्यादा प्रयोग किया। जिसके कई दुष्प्रभाव देखने को मिले हैं। इसके अधिक प्रयोग से त्वचा जल जाती है। यह आंखों में भी नुकसान पहुंचाता है। खाल में गिरने से केमिकल बर्न होगा। यह मुख्यत: खिड़की के हत्थे, दरवाजे, दीवरों, फर्नीचरों बार छूने वाली चीजों पर केमिकल का इस्तेमाल किया जाना था। इसका इस्तेमाल त्वचा में बिल्कुल नहीं किया जाना है।

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