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कृत्रिम बारिश की तैयारी में जुटा IIT कानपुर, पर्यावरण मंत्रालय से मिली मंजूरी

उत्तर प्रदेश को वायु प्रदूषण से बचाने के लिये IIT कानपुर ने क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश कराने की योजना बनाई है और प्रदेश में पहली बार इस तरह की प्रक्रिया के लिए राज्य के पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी मिल गयी है। अब इंतजार केंद्रीय नागर विमानन मंत्रा

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 20, 2017 17:34 IST
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश को वायु प्रदूषण से बचाने के लिये IIT कानपुर ने क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश कराने की योजना बनाई है और प्रदेश में पहली बार इस तरह की प्रक्रिया के लिए राज्य के पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी मिल गयी है। अब इंतजार केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय से मंजूरी मिलने का है। गौरतलब है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 15 नवंबर को प्रदेश के अधिकारियों से कहा था कि लखनऊ में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए IIT कानपुर की मदद से कृत्रिम बरसात के लिए नई तकनीक की दिशा में काम किया जाए।

IIT कानपुर के कार्यवाहक निदेशक और परियोजना प्रभारी प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा, ''इस संबंध में शासन के अधिकारियों के साथ चर्चा चल रही है। उत्तर प्रदेश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद से कुछ समय पहले आईआईटी कानपुर को कृत्रिम बारिश कराने के प्रोजेक्ट का काम मिला था। इस परियोजना पर संस्थान के एयरोस्पेस, सिविल इंजीनियरिंग, इंडस्ट्रियल मैनेजमेंट इंजीनियरिंग आदि विभागों ने मिलकर काम किया।'' उन्होंने बताया कि परियोजना के लिए आईआईटी को 15 लाख रूपये की सहायता भी मिली। 

उन्होंने बताया, ''करीब एक सप्ताह पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिये IIT से कृत्रिम बारिश की तैयारियां करने को कहा है।'' प्रो. अग्रवाल के मुताबिक, ''करीब एक साल पहले प्रदेश सरकार से क्लाउड-सीडिंग का प्रोजेक्ट मिला था। उस परियोजना पर IIT लगातार काम कर रहा है। अब प्रदेश सरकार चाहती है कि इसे अमली जामा पहनाया जाए ता​कि वायु प्रदूषण को कम किया जा सके।’’ 

उन्होंने कहा कि इस संबंध में IIT को प्रदेश सरकार के पर्यावरण मंत्रालय से इजाजत मिल गयी है। अब इतंजार केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय से मंजूरी मिलने का है जिसके लिये आवेदन किया गया है। इसके अलावा आसमान में कब बादल (क्लाउड कवर) हैं तथा वातावरण की अनुकूलता क्या है इस पर भी कृत्रिम बारिश करवाना निर्भर करेगा। IIT इस क्षेत्र में लंबे समय से शोध कर रहा है और अब वह इसके लिए तैयार है।

प्रो. अग्रवाल कहते हैं ​कि प्रदेश में पहली बार कृत्रिम बारिश कराने में थोड़ा ज्यादा खर्च आयेगा। कितना खर्च आयेगा इस बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल है लेकिन उपयोग बढ़ने के साथ खर्च कम होगा। क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया में एक विमान की जरूरत होती है , जो आईआईटी के पास उपलब्ध है। आईआईटी के पास विमान में लगने वाले सभी उपकरण मौजूद हैं। प्रक्रिया में यह विमान आकाश में बादलों के ऊपर जाकर विशेष रसायनों तथा सामान्य नमक का छिड़काव करता है। इससे बादलों में मौजूद नमी बूंदों का रूप लेकर तेजी से नीचे आती है और कृत्रिम बारिश हो जाती है। अग्रवाल के अनुसार नागर विमानन मंत्रालय की मंजूरी के बाद बादलों वाली जगह पर कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है और इससे वायु प्रदूषण में निश्चित ही काफी कमी आयेगी।

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