नयी दिल्ली। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने शनिवार को कहा कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में 2017-18 में एचआईवी संक्रमण के मामले बढ़ने की वजह पिछले पांच साल में ‘उपचार के दौरान असुरक्षित इंजेक्शन का जोखिम’ और ‘इंट्रामस्क्युलर’ इंजेक्शन लगाया जाना है। आईसीएमआर ने उन्नाव के एक जिला अस्पताल में स्थित एकीकृत परामर्श और परीक्षण केंद्र (आईसीटीसी) में आने वाले लोगों में 2017 में एचआईवी के मामले तेजी से बढ़ने पर एक अध्ययन के परिणामों को जारी किया।
आईसीएमआर ने एक बयान में कहा, ‘‘अध्ययन और एकत्र साक्ष्यों के माध्यम से यह साबित हुआ कि पिछले पांच साल में ‘उपचार के दौरान असुरक्षित इंजेक्शन का जोखिम होना’ और ‘इंट्रामस्क्युलर’ इंजेक्शन लगाये जाने का स्वतंत्र रूप से एचआईवी सीरो-रियेक्टिव (एंटीबॉडी की मौजूदगी) की स्थिति से संबंध है।’’ इस निष्कर्ष ने यह साबित करने में मदद की है कि रक्त चढ़ाये जाने, सर्जिकल प्रक्रियाओं, टैटू लगाये जाने, कान-नाक या त्वचा छेदे जाने से होने वाले संक्रमण का मामलों में बढ़ोतरी से कोई लेना-देना नहीं था।
आईसीएमआर ने कहा कि नवंबर 2017 से अप्रैल 2018 के बीच उन्नाव के बांगरमऊ प्रखंड के तीन स्थानों- प्रेमगंज, करीमुद्दीनपुर और चकमीरापुर से पता चले एचआईवी सीरोएक्टिव के मामलों पर अध्ययन किया गया। अध्ययन के प्रतिभागियों से अनेक जोखिम प्रक्रियाओं तथा शरीर में चीरा लगाकर उपचार करने की प्रक्रियाओं के आधार पर सवाल किये गये।