प्रयागराज/नोएडा: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि वह जिले की रेरा द्वारा एक बिल्डर के खिलाफ जारी वसूली प्रमाण पत्र को तीन महीने के भीतर क्रियान्वित करें। न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति साधना रानी की खंडपीठ ने दिल्ली-एनसीआर के पांच याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश पारित किया।
याचिका में सभी ने कहा था कि उन्हें मेसर्स सुपरटेक प्राइवेट लिमिटेड से ना तो तैयार फ्लैट मिल रहा था और ना ही बिल्डर उनका पैसा लौटा रहा है। याचिकाकर्ताओं के वकील संदीप कुमार ने बताया कि फ्लैट खरीदने के लिए सभी याचियों ने ऋण लिया हुआ है और निरंतर मासिक किस्त का भुगतान कर रहे हैं, साथ ही किराए के मकान में रहने के कारण किराया भी चुका रहे हैं, जो उनपर दोहरी मार है।
उन्होंने बताया कि इन याचिकाकर्ताओं को एक साल पहले ही रेरा से वसूली प्रमाण पत्र के रूप में आदेश मिल चुका है, लेकिन गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी की उदासीनता के कारण इसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अदालत ने इन्हीं प्रमाण पत्रों के आधार पर बिल्डर से वसूली का निर्देश दिया है।
पीठ ने कहा, गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी को रेरा द्वारा जारी रिकवरी सर्टिफिकेट्स को क्रियान्वित करने का निर्देश देने के साथ ही इन याचिकाओं को निस्तारित किया जाता है।
जिलाधिकारी कानून के मुताबिक आवश्यक कदम उठाएंगे और तीन महीने के भीतर इसे क्रियान्वित कराएंगे। पीठ ने यह आदेश राजेंद्र सिंह, याकूब कादरी, विपुल गुप्ता, सुषमा गुप्ता और भूषण अग्रवाल द्वारा दायर याचिकाओं पर 16 से 20 जुलाई के बीच पारित किया।