लखनऊ. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने योगी आदित्यनाथ सरकार को तबलीगी जमात के सदस्यों और ऐसे अन्य लोगों को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है जिन्होंने अपनी क्वारंटाइन अवधि को पूरा कर लिया है। जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के वकील शाद अनवर की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया।
याचिका में उच्च न्यायालय से उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया था। इसमें कहा गया था कि सरकार द्वारा व्यक्तियों के एक समूह के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। अपने आदेश में, उच्च न्यायालय ने इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन माना जो यह प्रावधान करता है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं होगा। अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में उसे हस्तक्षेप करने का पूरा अधिकार था।
अदालत ने राज्य सरकार को उन तबलीगी जमात सदस्यों को तुरंत रिहा करने का निर्देश दिया जिन्होंने क्वारंटाइन की अपनी अवधि पूरी कर ली है और जिनका परीक्षण निगेटिव आया था। अदालत ने जिलों में क्वारंटाइन किए गए व्यक्तियों के मामलों की निगरानी के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन करने का भी आदेश दिया है।
समिति से अपेक्षा की जाती है कि वे तय शर्तों के पूरा होने के बाद क्वारंटाइन सेंटर से व्यक्तियों की वापसी की व्यवस्था सुनिश्चित करें ताकि वे अपने घर लौटें। यह समिति राज्य द्वारा संचालित क्वारंटाइन सेंटर्स में रहने वालों की शिकायतों को भी सुनेगी और उनका निवारण करेगी। राज्य के मुख्य सचिव को आदेश जारी करते हुए अदालत ने उन्हें इस संबंध में एक परिपत्र जारी करने को कहा है।
इस बीच, राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल द्वारा अदालत में पेश किए गए हलफनामे के अनुसार राज्य के क्वारंटाइन केंद्रों में 3,001 भारतीय और 325 विदेशी तब्लीगी जमात सदस्य हैं। इनमें से 21 भारतीय और 279 विदेशियों को विभिन्न आरोपों के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। राज्य सरकार ने कहा कि 2,979 भारतीय और 46 विदेशी नागरिकों को उनकी क्वारंटाइन अवधि पूरी करने के बाद केंद्रों से रिहा कर दिया गया था और कोई भी ऐसा व्यक्ति केंद्र में नहीं था।