नई दिल्ली। नोएडा और ग्रेटर नोएडा के प्राधिकरणों ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि संकटग्रस्त ‘‘आम्रपाली समूह’’ की रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए उनके पास जरूरी संसाधन और विशेषज्ञता नहीं है। साथ ही, उन्होंने इन संपत्तियों को एक उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी की निगरानी के तहत किसी प्रतिष्ठित बिल्डर को सौंपे जाने का समर्थन किया।
प्राधिकरणों ने यह भी कहा कि वे पट्टे को रद्द करने जैसी कार्रवाई इस कंपनी के खिलाफ नहीं कर सकते हैं, जो (कंपनी) नियमित रूप से बहुत अधिक संख्या में मकान खरीदार होने और राजनीतिक रसूख रखने के चलते रकम चुकाने में नाकाम रही है।
दोनों प्राधिकरणों ने शीर्ष न्यायालय से कहा कि दंडस्वरूप ब्याज के अलावा मूलधन और ब्याज के मद में आम्रपाली समूह से करीब 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि लंबित है। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि सरकारी संस्थाओं ने मकान खरीदारों के हित को ध्यान में रखा इसलिए बार बार रकम की अदायगी करने में नाकाम रहने पर भी उन्होंने आम्रपाली के साथ पट्टा समझौता रद्द नहीं किया है।
शीर्ष न्यायालय ने आठ मई को कहा था कि वह संकटग्रस्त आम्रपाली समूह की सभी 15 महत्वपूर्ण आवासीय संपत्ति का मालिकाना हक नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों को दे सकती है क्योंकि वह (आम्रपाली) 42,000 परेशान मकान खरीदारों के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने में नाकाम रही है।
बहरहाल, न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति यू.यू. ललित की पीठ ने इस विषय पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया कि प्रबंधन नियंत्रण कौन लेगा और कौन सा बिल्डर आम्रपाली की अटकी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करेगा। न्यायालय ने नोएडा प्राधिकरण से यह बताने को कहा कि उसने आम्रपाली समूह के खिलाफ क्या कार्रवाई की है जो पट्टे की राशि चुकाने में पुराना डिफॉल्टर है।
वरिष्ठ अधिवक्ता देबल कुमार बनर्जी ने नोएडा प्राधिकरण की ओर से पेश होते हुए कहा कि रकम अदायगी नहीं करने को लेकर आम्रपाली समूह को बार-बार कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के बावजूद उन्होंने कुछ नहीं किया। न्यायालय ने पूछा कि यदि अदालत आपको आम्रपाली की संपत्ति का मालिकाना हक दे देती है तो प्राधिकरण इस पर कैसे आगे बढ़ेगा। बनर्जी ने कहा, ‘‘हमारे पास जरूरी कर्मचारी, संसाधन और परियोजनाओं के निर्माण की विशेषज्ञता नहीं है। ’’
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने भी इसी तरह का रुख जाहिर किया। इसके बाद पीठ ने दोनों प्राधिकरणों से पूछा कि फिर बिल्डर कौन हो सकता है और नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) लिमिटेड एक विकल्प हो सकता है।