लखनऊ/इलाहबाद: लखनऊ में CAA के विरोध में हुई हिंसा के आरोपियों से वसूली के पोस्टर लगाने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है। इस मामले पर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर ने स्वत: संज्ञान लेते हुए आज यानी रविवार को सुनवाई का फैसला किया है। चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर ने योगी सरकार को भी नोटिस जारी कर दिया है। कोर्ट ने पूछा है कि आखिरकार किस नियम के तहत ये पोस्टर लगाए गए।
हाई कोर्ट ने लखनऊ के पुलिस कमिश्नर और डीएम को सुबह 10 बजे अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। गौरतलब हो कि रविवार को ज्यादातर आपातकालीन मामलों की सुनवाई होती है। हाई कोर्ट ने इस मामले में भी आपातकालीन सुनवाई का फैसला किया है।
आपको बता दें पिछले साल 19 दिसंबर को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसा हुई थी, जिसमें बड़े पैमाने पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था। इसके जवाब में यूपी सरकार ने उपद्रव में शामिल लोगों से वसूली करने का फैसला किया था।
अब 76 साल के पूर्व आईपीएस अधिकारी श्रवण राम दारापुरी, सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जाफर, कलाकार दीपक कबीर, वकील मोहम्मद शोएब और ऐसे ही 57 लोगों को लखनऊ हिंसा का जिम्मेदार बताते हुए प्रशासन ने जगह-जगह पोस्टर लगाए हैं।