लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ ने हाथरस में एक दलित युवती के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म (Hathras Rape-Murder Case) और मौत के मामले में पूर्व में उपलब्ध कराई गई ऑडियो और वीडियो क्लिप देखी। अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने यह जानकारी दी। अदालत ने पिछले वर्ष 16 दिसंबर को सुनवाई के दौरान ही 16 जनवरी की तारीख नियत करते हुए सभी पक्षकारों को ये क्लिपिंग देखने को कहा था।
आदेश के अनुपालन में याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर, राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता वीके शाही, गृह सचिव तरुण गाबा, हाथरस के तत्कालीन जिलाधिकारी प्रवीण कुमार और पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर, युवती के भाई एवं भाभी तथा उनकी वकील सीमा कुशवाहा भी उपस्थित थीं। पीठ के दोनों न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजन राय और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह भी उपस्थित थे।
ऑडियो और वीडियो क्लिप देखने के दौरान किसी को उस पर प्रतिक्रिया देने की इजाज़त नहीं थी। सभी से कहा गया था कि यदि वे चाहें तो अपनी-अपनी टिप्पणियां लिख लें और पूर्व आदेश के अनुपालन में वे अपना जो भी पक्ष रखना चाहते हैं वह 27 जनवरी को सुनवायी के दौरान रख सकते हैं। अदालत ने मामले में स्वतः संज्ञान लिया था। कई बार इस मामले में सुनवाई हो चुकी है।
पहली सुनवाई के बाद ही अदालत ने मीडिया से हाथरस के बारे जो ख़बरें चलायी गयी थीं उनकी क्लिपिंग जमा करने का आदेश दिया था। इसके बाद विभिन्न मीडिया चैनलों और अखबारों ने ऑडियो तथा वीडियो क्लिप अदालत में जमा कराई थीं।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 14 सितंबर को कथित सामूहिक बलात्कार की शिकार युवती की दिल्ली के अस्पताल में 29 सितंबर को मौत हो गयी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की, जिसके बाद इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।