लखनऊ. जनसंख्या के लिहाज से देश का सबसे बड़ा प्रदेश होने की वजह से उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा समझा जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना मैनेजमेंट के लिए जो कदम उठाए हैं उन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी सराहा है। WHO ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना मरीजों की पहचान के लिए 1.41 लाख से ज्यादा टीमों का गठन किया है और WHO ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस प्रयास की एक तरह से प्रशंसा की है।
WHO की तरफ से कहा गया है कि भारत में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना मरीजों की पहचान के लिए घर घर जाकर टेस्टिंग के जरिए एक्टिव मामलों का पता लगाया जा रहा है, जिन लोगों में लक्ष्ण हैं उन्हें आइसोलेट किया जा रहा है और कांट्रेक्ट ट्रेसिंग की जा रही है।
WHO ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में गठित की गई टीमों ने 97941 गांवों में जाकर उन सभी लोगों का टेस्ट किया है जिनमें कोरोना के लक्ष्ण दिखे हैं, और जिन लोगों को पॉजिटिव पाया गया है उन्हें आइसोलेट करने के साथ दवा की किट भी दी गई है और साथ में पॉजिटिव पाए गए व्यक्ति के संपर्क में आए सभी लोगों को क्वारंटीन करके टेस्ट किया गया है।
उत्तर प्रदेश की जनसंख्या लगभग 23 करोड़ है और WHO ने राज्य के उन सभी लोगों से वैक्सीन लगवाने तथा कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने का आग्रह किया है जिनमें कोरोना के लक्ष्ण नहीं दिखे हैं, ऐसा करने से ग्रामीण क्षेत्रो में संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना मरीजों की पहचान के लिए पूरे राज्य में कुल 141610 टीमों का गठन किया है और राज्य स्वास्थ्य विभाग की तरफ से 21242 सुपरवाइजर नियुक्त किए हैं ताकि सभी ग्रामीण क्षेत्रों को कवर किया जा सके और कोरोना मरीजों की पहचान हो सके। जब इस अभियान की शुरुआत हुई थी तो पहले दिन WHO की टीम ने 2000 टीमों को मॉनिटर किया था और 10 हजार से ज्यादा घरों का दौरा किया था। इस पूरी प्रक्रिया में WHO भी उत्तर प्रदेश सरकार की सहायता कर रहा है, WHO की तरफ से टीमों को ट्रेनिंग, माइक्रो प्लानिंग, रियल टाइम मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग में सहायता दी जा रही है।