नोएडा. दादरी में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण के दौरान शिलापट्ट से गुर्जर शब्द हटाए जाने से आक्रोशित गुर्जर समाज के लोग रविवार को मिहिर भोज पीजी कॉलेज में ‘महापंचायत’ कर रहे हैं, जिसमें भाग लेने के लिए उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान से भारी संख्या में गुर्जर समाज के नेता व प्रतिनिधि पहुंचे। पुलिस ने समुदाय के सैकड़ों नेताओं को हिरासत में लेकर उन्हें पुलिस लाइन में रखा है।
पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि ‘महापंचायत’ का आयोजन बिना अनुमति के हो रहा था इसलिए इसमें शामिल होने के लिए आए लोगों को हिरासत में लिया गया। अपर पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) लव कुमार ने बताया कि गुर्जर समाज के लोगों ने मिहिर भोज पीजी कॉलेज में महापंचायत की अनुमति मांगी थी लेकिन कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए इसकी अनुमति नहीं दी गई। गुर्जर समाज के लोग बिना अनुमति की महापंचायत कर रहे थे, जबकि जिले में धारा 144 लागू है।
वहीं, पुलिस की सख्ती के बाद गुर्जर समुदाय के लोगों ने दादरी से हटकर चिटैहरा गांव में महापंचायत शुरू कर दी है, जहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी ने बताया कि वह अखिल भारतीय गुर्जर समन्वय समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनंतराम तंवर, कार्यकारी अध्यक्ष रणवीर चंदेला, सपा नेता नवीन भाटी सहित सैकड़ों लोगों के साथ महापंचायत में भाग लेने जा रहे थे, तभी पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
उन्होंने बताया कि राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए सैकड़ों लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि महापंचायत में भाग लेने जा रहे कुछ कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस ने बदसलूकी भी की। महापंचायत में भाग लेने के लिए मुजफ्फरनगर के मीरापुर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक एवं पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना भी दादरी पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें पंचायत स्थल से पहले ही रोक लिया, जिसके बाद वह पैदल ही पंचायत स्थल की तरफ चल दिए। आखिरकार पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। हालांकि, बाद में उन्हें छोड़ दिया गया और वह चिटैहरा गांव में महापंचायत स्थल पहुंच गए हैं।
भड़ाना ने कहा, ‘‘मैं गुर्जर समाज का प्रतिनिधित्व करता हूं और महापंचायत में जाकर अपनी बात रखना चाहता था।’’ उन्होने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन व उत्तर प्रदेश सरकार हमारा दमन कर रही है तथा हमारी आवाज को दबाना चाहती है। यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। भड़ाना ने तीन कृषि कानूनों पर केंद्र के रुख का विरोध करते हुए पार्टी से इस्तीफा दिया था, लेकिन उनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं किया गया है। वह उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में किसानों के प्रदर्शन में भाग लेते रहे हैं।