लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने फिरौती के लिए अपहरण से सम्बन्धित अपराधों में कार्रवाई एवं विवेचना में तत्परता बरतने तथा अपहृत व्यक्ति को प्राथमिकता के आधार पर सकुशल मुक्त कराने के लिए राज्य के सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये हैं। राज्य में हाल ही में दो बच्चों के अपहरण की घटनायें हुई हैं। इनमें से एक गोंडा में और एक गोरखपुर में हुई है। इनमें से गोंडा के बच्चे को तो पुलिस ने मुक्त करा लिया था लेकिन सोमवार को गोरखपुर में हुई घटना में बच्चे को बचाया न जा सका ।
पुलिस महानिदेशक एच सी अवस्थी ने मंगलवार को जारी एक बयान में प्रदेश के सभी पुलिस अधिकारियों को अपहरण/फिरौती के लिए अपहरण के मामलों में कार्यवाही से सम्बन्धित आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गये। उन्होंने कहा कि घटना की सूचना प्राप्त होते ही तत्काल घटनास्थल का थाना प्रभारी, क्षेत्राधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा निरीक्षण किया जाये। यदि शिकायतकर्ता का स्पष्ट आरोप है कि अपहृत/अपहृता का अपहरण किसी अपराध घटित करने के उदेश्य से हुआ है, तो तदनुसार अपराध उचित धारा में पंजीकृत होगा।
उन्होंने कहा कि फिरौती हेतु अपहरण से सम्बन्धित अपराधों में अविलम्ब प्रथम सूचना रिपोर्ट धारा 364ए भादवि के अन्तर्गत पंजीकृत करके कार्रवाई की रूपरेखा का निर्धारण किया जाए। ऐसे प्रकरणों में किसी स्तर पर शिथिलता बर्दाश्त नही की जायेगी तथा अपहृत/अपहृता की सकुशल बरामदगी कराने हेतु थानाध्यक्ष, क्षेत्राधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा कार्ययोजना एवं पुलिस अधीक्षक के साथ समन्वय बनाकर टीमों का गठन करके कार्य आवंटित किया जाये।
उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ऐसे प्रकरणों में अपहृत की सकुशल मुक्त कराने तक निरन्तर समीक्षा की जायेगी। आवश्यकतानुसार जनपदीय स्तर पर इस प्रकार के प्रकरणों में सहायता हेतु सम्बन्धित जनपद प्रभारी मानव तस्करी निरोधी इकाई, महिला-बाल हेल्पलाइन एवं गैर सरकारी संगठनों की सहायता अपने विवेक से ले सकते हैं।